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समय काल परिस्थिति के अनुसार बड़े से बड़ा अधर्म भी सौ धर्मों से बड़ा हो जाता है
देखिए और सुनिए प्रशांत भैया जी के सदुपदेश - समय काल परिस्थिति के अनुसार बड़े से बड़ा अधर्म भी सौ धर्मों से बड़ा हो जाता है।