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अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे
श्रद्धेय गोविंद भार्गव जी की सुमधुर वाणी में सुनिए संकीर्तन - अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे . . .