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माघ मास 29 जनवरी से शुरू हो रहा है. हिंदू धर्म इस माह का बहुत महत्व है. हिंदू पंचाग के अनुसार, यह 11वां महीना होता है. इस महीने धर्मिक कार्य ज्यादा होते हैं. जैसे पवित्र नदियों में स्नान और दान करना महत्व बहुत है. ऐसी मान्यता है कि अगर व्यक्ति माघ माह के महीने में किसी पवित्र नदी में स्नान करता है तो उसके पापों का नाश हो जाता है. जानते है इस कथा इस महीने में स्नान और दान का महत्व....
कथा -
प्राचीन काल में नर्मदा तट पर शुभव्रत नामक ब्राह्मण निवास करते थे. वे सभी वेद शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता थे. किंतु उनका स्वभाव धन संग्रह करने का अधिक था. उन्होंने धन तो बहुत एकत्रित किया. वृद्घावस्था के दौरान उन्हें अनेक रोगों ने घेर लिया. तब उन्हें ज्ञान हुआ कि मैंने पूरा जीवन धन कमाने में लगा दिया अब परलोक सुधारना चाहिए. वह परलोक सुधारने के लिए चिंतातुर हो गए.
अचानक उन्हें एक श्लोक याद आया जिसमें माघ मास के स्नान की विशेषता बताई गई थी. उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और 'माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति..'
इसी श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने लगे. नौ दिनों तक प्रात: नर्मदा में जल स्नान किया और दसवें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया.
शुभव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा कार्य नहीं किया था लेकिन माघ मास में स्नान करके पश्चाताप करने से उनका मन निर्मल हो गया. माघ मास के स्नान करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई. इस तरह जीवन के अंतिम क्षणों में उनका कल्याण हो गया.