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कोकिला बेन अपने पति महेशभाई के साथ शहर में रहती थी। दोनों में एक-दूसरे के प्रति बहुत प्रेम-भाव था परन्तु महेशभाई का स्वभाव थोड़ा झगड़ालू था। दूसरी तरफ कोकिला बेन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी। कुछ समय बाद उनके पति का रोजगार ठप हो गया। रोजगार ठप होने की वजह से महेशभाई अब दिन-भर घर पर ही रहने लगे. खाली बैठे रहने की वजह से उनके मन में गलत विचार उत्पन्न होने लगे।अब उनका स्वभाव पहले से अधिक चिड़चिड़ा हो गया।
एक दिन दोपहर को एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकर खड़े हो गए। चेहरे पर गजब का तेज था. उस बाबा ने दरवाजे पर आवाज लगाई. बाबा को दरवाजे पर देखकर कोकिला बेन ने उन्हें दाल-चावल दिए और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया। वृद्ध ने कहा साईं सुखी रखें। कोकिला बेन ने कहा महाराज सुख मेरी किस्मत में नहीं है और अपने दुखी जीवन की व्यथा वृद्ध बाबा को सुनाने लगी। बाबा ने श्री साईं के व्रत के बारे में बताया. 9 गुरुवार फलाहार या एक समय भोजन करना, हो सके तो बेटा साईं मंदिर जाना, नहीं तो घर पर साईं बाबा की 9 गुरुवार पूजा करना। साईं व्रत करना और विधि से उद्यापन करना. भूखे को भोजन देना, साईं बाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे, साईं बाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरूरी है।
कोकिला बेन ने भी गुरुवार का व्रत शुरू कर दिया और 9 वें गुरुवार को गरीबों को भोजन कराया। उनके घर से कलह दूर हो गया। घर में बहुत ही सुख-शांति हो गई। महेशभाई का स्वभाव भी बदल गया। उनका रोजगार फिर से चालू हो गया। थोड़े समय में ही सुख-समृद्धि बढ़ गई। दोनों पति-पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे। एक दिन कोकिला बेन के जेठ-जेठानी सूरत से आए। बातों-बातों में उन्होंने बताया कि उनके बच्चों ने पढ़ाई नहीं की इसलिए परीक्षा में फेल हो गए हैं।
कोकिला बेन ने 9 गुरुवार की महिमा बताई और कहा कि साईं बाबा की भक्ति से बच्चे अच्छी तरह पढ़ाई में मन लगा पाएंगे लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना जरूरी है। साईं सबकी सहायता करते हैं। उनकी जेठानी ने व्रत की विधि बताने के लिए कहा - कोकिला बेन ने उन्हें वह सारी बातें बताईं, जो खुद उन्हें वृद्ध महाराज ने बताई थी। सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया कि उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे हैं और बहुत अच्छी तरह से पढ़ते हैं।
उन्होंने भी व्रत किया था। इस बारे में उन्होंने लिखा कि उनकी सहेली की बेटी की शादी साईं व्रत करने से बहुत ही अच्छी जगह तय हो गई। उनके पड़ोसी का गहनों का डिब्बा गुम हो गया था, जो अब वापस मिल गया है। ऐसे कई अद्भुत चमत्कार हुए। कोकिला बेन समझ गई कि साईं बाबा की महिमा अपरंपार है।