कार्तिक का महीना आज से शुरू हो गया है. हिंदू धर्म में कार्तिक माह का बहुत महत्त्व है. कार्तिक महीना आज यानि 21 अक्टूबर से शुरू होकर 19 नवंबर तक रहेगा. इस पूरे महीने पूजा-पाठ का विशेष महत्त्व है. कार्तिक माह में भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं और मां लक्ष्मी भी इस महीने धरती का भ्रमण करती हैं इसलिए इस पवित्र महीने में विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है. इसके साथ ही कार्तिक माह में माता तुलसी की पूजा का भी बहुत महत्त्व है. इन दिनों में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. कार्तिक माह में सूर्यादय से पहले स्नान करने का विधान है. स्कंद पुराण में कार्तिक महीने के महत्त्व को बताते हुए कहा गया है कि जिस तरह से वेद के समान कोई शास्त्र, गंगा के समान कोई तीर्थ और सतयुग के समान कोई युग नहीं है. उसी तरह कार्तिक मास के समान कोई माह नहीं होता. आइये जानते हैं कि कार्तिक महीना इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है और इस महीने तुलसी पूजन का क्या महत्त्व है. कार्तिक महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल का ग्यारहवां महीना होता है. लेकिन हिंदू कैलेंडर में ये आठवें महीने के तौर पर जाना जाता है. इस महीने की शुरुआत शरद पूर्णिमा के अगले दिन से होती है. इस महीने को दान-पुण्य के लिए भी जाना जाता है, साथ ही त्योहारों की दृष्टि से भी काफी खास माना जाता है. वैसे तो हिन्दू धर्म में तुलसी का बेहद खास महत्त्व है. लेकिन कार्तिक महीने में तुलसी पूजन का महत्त्व कई गुना बढ़ जाता है. तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं और माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के अवतार भगवान शालिग्राम से हुआ था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक महीने में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने और तुलसी पूजन करने से सभी तीर्थ करने के समान पुण्य फल मिलता है. इन दिनों लोग रोज़ाना तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाते हैं और तुलसी माता का साज-श्रृंगार कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. कहा जाता है कि इस महीने में तुलसी पूजन करने से यमदूतों के भय से मुक्ति मिलती है. कार्तिक महीने में कई त्योहार होते हैं. इनमें करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भैयादूज और छठ पूजा जैसे महापर्व शामिल हैं. इसके साथ ही इस महीने देवउठानी एकादशी का त्योहार भी होता है. जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन चातुर्मास की समाप्ति के बाद श्रीहरि भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं. इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है और इसी दिन से शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुवात भी होती है.
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