कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है. यह व्रत संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस दिन अहोई माता के साथ सेई और सेई के बच्चों की पूजा की जाती है. इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखकर अपने बच्चों के भाग्योदय की कामना करती हैं. इस बार अहोई का व्रत गुरुवार (28 अक्टूबर) को मनाया जाएगा. अहोई अष्टमी के दिन महिलाओं को मिट्टी से जुड़े कार्य नहीं करने चाहिए. इस दिन जमीन या मिट्टी से जुड़े कार्यों में खुरपी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अहोई अष्टमी के व्रत में महिलाओं को काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए. व्रत में पूजा से पहले भगवान गणेश को याद करें. इस दिन अर्घ्य देने के लिए कांसे के लोटे का प्रयोग नहीं करना चाहिए. अहोई माता के व्रत में पहले इस्तेमाल हुई सारी पूजन-सामग्री को दोबारा इस्तेमाल न करें. इसके अलावा मुरझाए फूल का प्रयोग ना करें. खान-पान में तेल,प्याज, लहसुन आदि का प्रयोग न करें. व्रत रखने वाली महिलाएं दिन में सोने से परहेज करें. किसी बुजुर्ग व्यक्ति का अनादर ना करें. अहोई अष्टमी पर व्रती महिलाओं को किसी भी प्रकार के धारदार या नुकीली चीजें जैसे चाकू, कैंची और सूई आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इनका इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है.
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