मकर संक्रांति का त्यौहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस साल यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन लोग गंगा या अन्य पावन नदी में स्नान कर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं। इस दिन दान - पुण्य किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को नए फल और नयी ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है। जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन काले तिल और गुड़ के लड्डू खाए जाते हैं, इसके साथ ही इस दिन खिचड़ी खाने की भी प्रथा चली आ रही है। लेकिन इस दिन खिचड़ी क्यों बनाई और खाई जाती है? जानिए इस दिन क्यों बनाई जाती है खिचड़ी? मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा सालों से चली आ रही है। कहा जाता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों के पास खाने के लिए कुछ नहीं था। तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और हरी सब्ज़ियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी। तबसे इस दिन खिचड़ी को खाने और बनाने का रिवाज़ चला आ रहा है। खिचड़ी को पौष्टिक आहार के रूप में भी ग्रहण किया जाता है। मकर संक्रांति के दिन जगह - जगह खिचड़ी का भोग चढ़ाया जाता है। इस दिन बाबा गोरखनाथ के मंदिर में भी खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। ज्योतिषों का मानना है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से ग्रह अच्छे होते हैं। इस दिन खिचड़ी खाने से सूर्य और शनि ग्रह मज़बूत होते हैं और आप करियर में सफलता पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्य व शनि ग्रह के अच्छे होने से आपको जीवन में समस्याएं नहीं आती हैं।
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