शुरू हुआ माघ माह, इस माह में गंगा स्नान का है विशेष महत्त्व हिन्दूधर्म में हर महीने का अपना महत्त्व है। पौष पूर्णिमा के बाद हिन्दूकैलेंडर के अनुसार नए माह की शुरुआत हो चुकी है। माघ माह को हिन्दूधर्म में पवित्र महीना माना जाता है। इस माह में दान, स्नान, उपवास और तप का विशेष महत्त्व बताया गया है। इसलिए इस माह में लोग हरिद्वार और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों पर गंगा स्नान के लिए जाते हैं। लेकिन कोरोना महामारी के चलते, धार्मिक स्थानों पर जाने की रोक लगा दी गई है। माघ माह में संगम तट पर कल्पवास करने का भी विधान है। धार्मिक दृष्टि से कल्पवास करने वाला व्यक्ति शरीर और आत्मा से शुद्ध हो जाता है। आइए जानते हैं इस माह में स्नान-दान करने और इसके पौराणिक महत्त्व के बारे में... -शुरू हुआ माघ माह 17 जनवरी को पौष पूर्णिमा के बाद 18 जनवरी 2022 से माघ माह की शुरुआत हो चुकी है, जो 16 फ़रवरी 2022 तक चलेगा। पुराणों में पहले इसे माध का महीना कहा जाता था, जिसके बाद यह माघ के नाम से जाना जाने लगा। -माघ माह का पौराणिक महत्त्व पौराणिक कथा के अनुसार माघ मास में इन्द्र देव को गौतम ऋषि द्वारा श्राप दिया गया था। अपनी ग़लती का अहसास होने पर इन्द्र देव ने गौतम ऋषि से क्षमा याचना की। फिर गौतम ऋषि ने माघ मास में गंगा स्नान कर इन्द्र देव को ग़लती का प्रायश्चित करने को कहा। तब उन्होंने इस माह में गंगा स्नान किया था। गंगा में स्नान करने के बाद ही इन्द्र देव को श्राप से मुक्ति मिली। इसके बाद से ही माघ माह में पूर्णिमा और अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व माना जाने लगा। -माघ माह में दान-पुण्य का महत्व शास्त्रों के अनुसार माघ माह में तिल, गुड़ और कंबल आदि चीज़ें दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस माह में दान करने से मनुष्य के शरीर से रोगों का नाश होता है। ऊनी वस्त्र ,रजाई, जूता और शीत निवारक वस्तुएं दान करने से लोगों के दुख दूर होते हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। मत्स्य पुराण के अनुसार माघ मास में ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करने से ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि इस माह में नियमित रूप से अन्न - दान करने से धन की कमी नहीं होती।
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