प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला माना जाता है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष के दिन महादेव, कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। कहते हैं कि जो भी भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करते हैं, भगवान शिव उनके हर दोष को मिटा देते हैं। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अगस्त का आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा। भादो माह का पहला प्रदोष व्रत बुधवार, 24 अगस्त दिन बुधवार को रखा जाएगा। बुधवार को पड़ने की वजह से यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने से जीवन की हर मुश्किल खत्म हो जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत का उपवास करने से आप मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकते हैं। प्रदोष व्रत का महत्व मान्यता है कि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना करने से रोग, ग्रह दोष, शारीरिक कष्ट और पापों से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि शादीशुदा लोग संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को रख सकते हैं। भगवान शिव की कृपा से भक्त के जीवन में धन, धान्य, सुख और समृद्धि की बढ़ोतरी होती है। पूजा विधि प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक भगवान शिव की पूजा का विधान होता है। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर विधि-विधान के साथ शिव जी की पूजा करें। इस दिन चांदी या तांबे के लोटे से शुद्ध शहद, एक धारा के साथ शिवलिंग को अर्पित करें। फिर शुद्ध जल की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें और "ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। भगवान शिव को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। अपनी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें। प्रदोश व्रत कथा का पाठ करें और शिव चालीसा पढ़ें। कहते हैं कि इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं। शुभ मुहूर्त भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि बुधवार, 24 अगस्त को सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शुरु होकर अगले दिन यानी गुरुवार, 25 अगस्त को सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अगस्त, शाम 6 बजकर 52 मिनट से रात 9 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। प्रदोष व्रत की गणना, विशिष्ट व्रतों में की गयी है। इस व्रत का पालन यदि पूर्ण श्रद्धा से किया जाए तो महादेव की कृपा से व्रती का जीवन धन्य हो जाता है।
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