चित्तुर: पूरे भारत में गणेश चतुर्थी को लेकर चहल पहल शुरू हो गई है। बाज़ारों में रौनक दिखनी शुरू हो गई है, चाक चौराहों पर भगवान गणेश की मूर्तियों को कारीगर आखिरी रूप देने में लगें हुए हैं। कई लोग भगवान गणेश के मंदिर का दीदार करने और पूजा अर्चना करने अलग अलग शहर जा रहें है। इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत में कितने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। गणेश महोत्सव का त्योहार 10 दिन के लिए मनाया जाता है। इस दौरन चारों तरफ भक्ति भाव का माहौल रहता है। ऐसे में ही भारत में एक बहुत ही चमत्कारी मंदिर है जहां भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है। दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश राज्य के चित्तुर जिले में स्थित मंदिर जिसका नाम कनिपक्कम मंदिर है। ऐसा मानना है कि यह भगवान गणेश की मूर्ति का आकर धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है। इस मंदिर को पानी के देवता मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। बाहुदा नदी के बीचों बीच बना इस मंदिर के जल को बहुत ही पवित्र मना जाता है और लोगों का मना है कि इस के इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं। मंदिर के निर्माण की बात करे तो 11वीं शताब्दी में राजा कुलोठून्गा चोल प्रथम ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था उसके बाद 1336 में विजयनगर वंश के राजा के द्वारा इस मंदिर को बड़ा बनाने का काम किया गया। गणेश चतुर्थी के दिन से इस मंदिर में ब्रह्मोत्सव शुरू होता है। इस उत्सव के पीछे की मान्यता यह है कि ब्रह्मदेव इसी समय पृथ्वी पर आए थें। यह उत्सव बहुत ही भव्य होता है और कुल 20 दिनों तक मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान यहां रथ यात्रा निकली जाती है। इस मंदिर से सम्बंधित एक लोक कथा मशहूर है। कथा के अनुसार बहुत समय पहले यहाँ तीन भाई रहते थें जिसमें एक अंधा, दूसरा गूंगा और तीसरा बहरा था। अपने पालन पोषण के लिए तीनों भाइयों ने खेती करने की सोची जिसको लेकर वे खेत में कुआं खोदने लगे। कुआं खोदने के दौरान उन्हें एक पत्थर दिखाई दिया वह देख तीनों भाई और गहरा कुआं खोदने के लिए उस पत्थर को हटाने लगे। पत्थर को जैसे ही हटाया वहाँ से खून की धारा निकलने लगी और उस खून से उनके द्वारा खोदा गया कुआं भर गया। कहा जाता है तभी से वहां गणेश जी की स्वयंभू प्रतिमा दिखाई दी और उनके दर्शन से तीनों भाई की बीमारी ठीक हो गई। यहां दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि यह स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा का आकर प्रतिदिन बढ़ता जाता है।
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