छपरा: बिहार के छपरा में निर्मित द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन को लोग दूर दूर से आ रहें हैं। यहाँ श्रद्धालुओं की काफ़ी भीड़ उमड़ रही है। इस मंदिर की कला बहुत ही अद्भुत है क्योंकि इस मंदिर के निर्माण में ईंट, सरिया, सिमेंट और बालू का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है। छपरा में बना यह मंदिर पूरे उत्तर भारत का एकलौता मंदिर है जिसका निर्माण गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर के तर्ज़ पर किया गया है। इसमंदिर को छपरा के शान के रूप में भी देखा जा रहा है। एनएच 331 पर स्थित यह द्वारकाधीश मंदिर देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर छपरा शहर से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। इस मंदिर के निर्माण में कुल साढ़े आठ करोड़ का खर्च आया और यहाँ राधाकृष्ण के साथ साथ दुर्गा जी, गणेश जी, शिव पार्वती जी, हनुमान जी की आकृतियाँ स्थापित है। इस साल इस मंदिर में जन्माष्टमी को लेकर भव्य तैयारियाँ की गई थी। इस मंदिर के निर्माण के लिए जो संगमरमर इस्तेमाल किए गए थे वह सारे ही गुजरात से लाए गए थे। इस मंदिर की भव्यता बहुत ही सुंदर है और इसके निर्माण के कारीगर भी गुजरात से ही लाए गए थे। इस मंदिर को तैयार करने में 14 वर्ष का समय लग गया। वर्ष 2005 में इसमंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था और तब से लेकर प्रतिदिन 25 से 30 कारीगरों ने काम किया है। इस मंदिर की ख़ासियत यह है कि एक जगह भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया है। बात करें चौखट और दरवाज़ा की तो वह भी लकड़ी के किल और गोंद से निर्मित किया गया है। छपरा के इस मंदिर का उद्घाटन 2019 में हुआ था। मंदिर के ऊँचाई की बात करें तो गुम्बज पर लगे ध्वज को मिलकर कुल करीब 40 फिट है। इस मंदिर में पत्थरों को ख़ास क्लिप कट पद्धति से जोड़ा गया है।
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