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कब है हरतालिका तीज? जानें शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि

हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसका प्रांगण हमेशा त्यौहारों एवं महोत्सवों से सुसज्जित रहता है। क्योंकि हर दिन की तिथि अपने साथ कोई न कोई पर्व या फिर व्रत लेकर आता है, जिसको लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इसी कड़ी में एक व्रत है हरतालिका तीज का व्रत जो कि हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ‘हरतालिका तीज पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं में भी हरतालिका तीज व्रत का वर्णन मिलता है। इस व्रत को भाग्य में वृद्धि करने वाला व्रत माना गया है। इस दिन हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। हरतालिका तीज का व्रत, कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए और सौभाग्यवती स्त्रियां, अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि सोमवार, 29 अगस्त दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर, अगले दिन यानी मंगलवार, 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। हरतालिका तीज के दिन, पूजा का शुभ मुहूर्त, सुबह 6 बजकर 5 मिनट से लेकर 8 बजकर 38 मिनट तक और शाम 6 बजकर 33 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। हरतालिका तीज व्रत की विधि हरतालिका का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस व्रत में व्रती न ही जल ग्रहण कर सकते हैं और न ही किसी प्रकार का आहार। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा, विधि-विधान से करनी चाहिए। नियम के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है, जो कि दिन और रात के मिलन का समय होता है। मान्यता है कि पूजा में मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनाकर पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान सुहाग की सभी वस्तुओं को एकत्रित करके माता पार्तवी को अर्पित करें। भगवान शिव को फूल और मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनें और गरीबों को श्रद्धानुसार दान करें। ऐसा करने से मां पार्वती और भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं। हरतालिका तीज का व्रत, उत्साह के साथ-साथ भक्ति के भाव का भी स्रोत है। यह व्रत महिलाओं और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा फल तो देता ही है, साथ ही साथ सबका विश्वास धर्म के प्रति और सुदृढ़ भी करता है।

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