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भगवान गणेश का एक अनोखा मंदिर जहाँ होती है उनके नरमुख रूप की पूजा

तमिलनाडु: आमतौर पर हम सभी ने भगवान गणेश की गजमुखी रूप को ही देखा और पूजा है। मंदिर हो या चित्र भगवान गणेश के गजमुखी रूप को ही पूजा जाता है, लेकिन दक्षिण भारत के तमिलनाडु में बप्पा का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहाँ उनका नरमुखी स्वरूप है। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहाँ भगवान की नरमुखी मूर्ति स्थापित है।

तमिलनाडु के तिलतपर्ण पुरी में आदि विनायक के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर है जिसमें गणेश जी की नरमुखी प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर पितरों के लिए मशहूर है। यहाँ दूर दूर से लोग श्राद्ध कार्य के लिए आते हैं। यह देश का एकलौत मंदिर हैं जहाँ लोगों द्वारा पितरों की शांति के लिए पूजा किया जाता है। 

 

किस जगह पर है यह मंदिर 

दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में यह मंदिर है। तमिलनाडु के तरुवरुर जिले के कुटनूर शहर से करीब 3 किलोमीटर दूरी पर है तिलतपर्ण पुरी और यहीं पर स्थित यह आदि विनायक मंदिर। तिलतपर्ण पुरी दो शब्दों से मिलकर बना है, प्रथम- तिलतपर्ण और द्वितीय- पुरी। तिलतपर्ण का अर्थ होता है पूर्वजों को तिल चढ़ाना और पुरी का अर्थ होता है शहर। तमिलनाडु के कुटनूर शहर में माता सरस्वती का एकमात्र मंदिर है। इसके अलावे तिलतपर्ण पुरी में भगवान शंकर का मंदिर भी है। इस मंदिर से बाहर आते ही भगवान गणेश का नरमुखी मंदिर है।  इस मंदिर को पितृ दोष से शांति पाने के लिए पूजा प्रसिद्ध माना जाता है। 

 

मंदिर से जुड़ी कहानी  

इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा मशहूर है, उसके अनुसार भगवान श्रीराम अपने पिता दशरथ जी का जब अंतिम संस्कार कर रहे थें तो उनके द्वारा चार पिंड रखे गए थे। रखे ये चार पिंड बार बार कीड़े में तब्दील हो जा रहे थे इससे परेशान हो भगवान श्रीराम ने भोलेनाथ से प्रार्थना की, उसके बाद भगवान शंकर ने श्रीराम जी को आदि विनायक मंदिर जा कर पूरी विधि-विधान के साथ पूजा करने को कहा। भगवान शंकर द्वारा बताए गए इस मंदिर में श्रीराम जी ने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए पूजा करी, इस दौरान राम जी द्वारा चार पिंड बनाए गए जो शिवलिंग में परिवर्तित हो गए। आज के समय में वह चार शिवलिंग आदि विनायक मंदिर के पास मुक्तेश्वर मंदिर में स्थित हैं।

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