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लखीमपुर खीरी में सीडीओ ने किया सर्वे, शिव मंदिर कॉरिडोर का होना है निर्माण 

लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पौराणिक शिव मंदिर और गोकर्ण परिसर के सौंदर्यीकरण की तैयारी शुरू कर दी गई है। सीडीओ के नेतृत्व में विभिन्न विभागों के अधिकारियों की टीम द्वारा शिव मंदिर कॉरिडोर निर्माण के लिए सर्वे कर खाका तैयार कर लिया गया है। सीडीओ के सर्वे के दौरान यह फ़ैसला लिया गया कि मंदिर परिसर के कई धर्मशाला और ऐसे भवन को तोड़ा जाएगा जो पूरे तरीक़े से जर्जर हो चुके हैं। इस मंदिर को बनारस के तर्ज़ पर काशी कॉरिडोर बनाये जाने हैं। 

विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पब्लिक इंटर कॉलेज के मैदान से यहाँ कॉरिडोर बनाने की घोषणा करी गई थी जिसके बाद से ही इसके निर्माण के कवायद तेज हो गई थी। मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद स्थानीय विधायक द्वारा कार्य के शीघ्र शुरुआत के कई मंत्रियों से आग्रह करी गई थी। इस दौरान सभी लोगों ने कार्य को शीघ्रता के साथ शुरू करने की तत्पर्ता भी दिखाई जिसको लेकर सीडीओ, जिला पर्यटन सूचना अधिकारी, पीडब्ल्यूडी एक्सईएन, एसडीएम, बीडीओ, नगरपालिका, विकास विभाग के साथ सर्वे किया गया। सोमवार को इन सारे अधिकारियों द्वारा पौराणिक शिव मंदिर तथा गोकर्ण तीर्थ परिसर का सर्वे किया गया था। 

इस सर्वे के दौरान पाया गया कि  पौराणिक शिव मंदिर, गोकर्ण तीर्थ के सभी मार्ग, शिव मंदिर के मुख्य मार्गों पर तोरण द्वार लगाने, परिक्रमा मार्ग का चौड़ीकरण, स्टेशन रोड से प्रवेश द्वार के मध्य अतिक्रमण और जिला पंचायत की भूमि को खाली कराना,गेट नंबर एक प्रवेश द्वार से शिव मंदिर के निकट राम मंदिर तक निर्माण हटाने, गेट नंबर चार के निकट का जर्जर निर्माण साथ ही महादेवा धर्मशाला ध्वस्तीकरण कराने का मसौदा तैयार किया गया है।

सावन के महीने में इस बार पाँच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ रही थी जिसके बाद से ही उम्मीद लगाई जा रही है कि  आने वाले समय श्रद्धालुओं की और भीड़ बढ़ेगी और सावन महीने के दौरान ख़ास तौर भी श्रद्धालु आएँगे। आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़े उसके लिए पौराणिक शिव मंदिर और गोकर्ण तीर्थ परिसर का सौंदर्यीकरण कराया जाएगा जिससे इन मंदिरों की ख़ूबसूरती बढ़ जाएगी और सुविधा की कोई कमी नहीं होगी। सुविधा के साथ प्रशासन द्वारा यह की सुरक्षा का भी ख़ासा ध्यान दिया जा रहा है जिसको लेकर पुराने और जर्जर भवनों को हटाया जाएगा और आने वाले कुछ सालों में पर्यटक और श्रद्धा का मुख्य केंद्र हो सकता है।

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