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आज है गुरु प्रदोष व्रत, जानिए पूजा का शुभ मूहूर्त

 

 

प्रत्येक माह में जिस तरह दो एकादशी होती हैं, उसी तरह दो प्रदोष भी होते हैं। हिंदू धर्म में एकादशी को भगवान विष्णु से और प्रदोष व्रत को भगवान शिव से जोड़ा गया है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत, मनुष्य के जीवन को संतोषी व सुखी बनाता है। यह व्रत, कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला माना गया है। मान्यता है कि प्रदोष के दिन महादेव, कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। कहते हैं कि जो भी भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करते हैं, भगवान शिव उनके हर दोष को मिटा देते हैं। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है।

 

इस बार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को गुरु प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस बार यह व्रत 8 सितंबर, गुरुवार को रखा जाएगा।

 

गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि 8 सितंबर को 12:04 ए.एम. से आरंभ हो चुकी है। त्रयोदशी तिथि का समापन उसी दिन यानी कि 8 सितंबर को 9:02 पी.एम. पर होगा। प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, यानी कि सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है।

 

गुरु प्रदोष महत्व

रोग और कष्ट से मुक्ति पाने के लिए प्रदोष व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति यह व्रत रखता है, उस व्यक्ति के समस्त दोष खत्म हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत के प्रभाव से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का वरदान मिलता है।

 

गुरु प्रदोष का यह व्रत बहुत ही मंगलकारी माना गया है। इस दिन विधि-विधान से महादेव की आराधना एवं व्रत करके व्रती को आश्चर्यजनक फल प्राप्त हो सकते हैं और साथ ही उस पर महादेव की कृपा भी बनी रहती है।

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