हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसको मानने वालों ने उसे निष्ठापूर्वक थामा हुआ है। यह धर्म के प्रति अटूट निष्ठा ही तो है कि, हिन्दू धर्म में आने वाला हर त्यौहार, लोग उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और हर उत्सव के पूजन को भी श्रद्धापूर्वक संपन्न करते हैं। इसी कड़ी में आता है, करवा चौथ का त्यौहार, जिसमें सुहागिन महिलाएं, अपने पति के लिए पूरे दिन निर्जल और निराहार रहकर व्रत रखती हैं और साथ ही पूरी निष्ठा के साथ इस व्रत का पूजन एवं पारण करती हैं। आज करवा चौथ के अवसर पर करवा माता, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। करवा मैया, माता पार्वती को कहते हैं। वे, आदर्श नारी और अखंड सौभाग्यवती हैं।
आज करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त, शाम 5 बजकर 54 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 9 मिनट तक है। इस समय अवधि में ही, आज, व्रती महिलाओं को करवा माता, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में आरती का अत्यधिक महत्व होता है। मान्यता है कि आरती करने से पूजन में यदि कोई कमी रह गयी है तो वह दूर हो जाती है और पूर्णता प्राप्त होती है।
करवा मैया की आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
ओम जय करवा मैया…
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
ओम जय करवा मैया…
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया…
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया…
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया…
हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा होती है। इस दिन, इन तीनों की आरती का विधान है। यदि आप तीनों की आरती नहीं कर पा रहे हैं तो केवल करवा माता की आरती करें। समय है तो सभी की आरती करें। अगर व्रती, श्रद्धापूर्वक इस व्रत की पूजन विधि का पालन करते हैं तो उन्हें अवश्य ही करवा माता के ‘अखंड सौभाग्य’ का वरदान प्राप्त होता है।