यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्णा ने कहा है कि जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं, जब जब अधर्म बढ़ता है. तब तब मैं आता हूं।
दरअसल ये उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को दिया था, जब अर्जुन ने कुरुक्षेत्र में हो रहे महाभारत के युद्ध के दौरान अपने परिजनों के साथ युद्ध करने से इंकार करते हुए शस्त्र का त्याग कर दिया था। उस दौरान जो भी उपदेश भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिए थे, वही श्रीमद्भागवत गीता ग्रंथ के रुप में आम जनमानस के सामने आया।
देशभर में आज गीता जयंती मनाई जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गीता जयंती क्यों मनाई जाती है? क्या है इस जयंती का महत्व? चलिए आपको बताते हैं।
सनातन धर्म के कुछ बड़े धर्म ग्रंथों में श्रीमद्भागवत गीता का प्रमुख स्थान है। इस पवित्र ग्रन्थ के अवतरण की तिथि को ही गीता जयंती के रुप में मनाया जाता है।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
भगवान श्री कृष्णा कहते है कि जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं आता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मैंआता हूं, दुष्टों का विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए मैं आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं।
भगवत गीता सिर्फ सनातन धर्म को रास्ता नहीं दिखती, बल्कि जातिवाद से कहीं ऊपर इंसानियत का ज्ञान देती है। गीता में सतयुग से कलयुग तक मनुष्य के कर्म और धर्म का ज्ञान लिखा हुआ है। गीता के श्लोको में मनुष्य की जाति का आधार छिपा हैं। मनुष्य के लिए क्या कर्म हैं? उसका क्या धर्म हैं? गीता का पूरा ज्ञान श्री कृष्ण ने अपने मुख से कुरुक्षेत्र की उस धरती पर किया था। उसी ज्ञान को गीता के पन्नों में लिखा गया हैं।
श्रीमद्भागवत गीता का अवतरण मनुष्य को धर्म का सही रास्ता समझाने के लिए किया गया है,क्योंकि कलयुग ऐसा दौर हैं जिसमें गुरु और ईश्वर धरती पर मौजूद नहीं हैं। जो भटकते लोगों को सही राह दिखा पाए। ऐसे में गीता के उपदेश मनुष्यों को एक सही राह दिखाने में मदद करते हैं। इसी कारण से महाभारत काल में गीता की उत्त्पत्ति की गई। भगवात श्रीकृष्ण के कहे श्लोकों को शब्द-दर-शब्द कागज़ पर उकेड़ कर उसे ग्रन्थ की संज्ञा दी गई।
हिन्दू धर्म ही एक ऐसा धर्म हैं, जिसमें किसी ग्रन्थ की जयंती मनाई जाती हैं। इसका उद्देश्य मनुष्य में गीता के महत्व को जगाये रखना हैं। कलयुग में गीता ही एक ऐसा ग्रन्थ हैं जो मनुष्य को सही गलत का ज्ञान करा सकती हैं। ये जयंती मोक्षदा एकादशी के दिन आती है। इसी दिन भगवत गीता का पाठ किया जाता हैं और देशभर के इस्कॉन मंदिरों में भगवान कृष्ण और भगवत गीता की पूजा की जाती है।
(आकांक्षा शर्मा)