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प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने माघ मेले के दौरान प्रमुख स्नान पर्व की तिथियों का किया एलान, यहां है पूरी जानकारी....

प्रयागराज: 6 जनवरी से लगने वाले माघ मेले को लेकर यहां तैयारियां तेज गति से चल रही है।इसी बीच मेला प्राधिकरण ने प्रमुख स्नान पर्व की तिथियों का एलान भी कर दिया है। पहला स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के मौके पर 6 जनवरी को को होगा। जो महाशिवरात्रि को संपन्न हो जाएगा। मकर संक्रांति पर्व 14 और 15 जनवरी को होगा। वहीं मौनी अमावस्या का स्नान 21 जनवरी को होगा। 5 फरवरी को माघी पूर्णिमा के स्नान के साथ एक महीने का कल्पवास भी संपन्न हो जाएगा और इस बार का माघ मेला महाशिवरात्रि के अवसर पर 18 फरवरी को समाप्त होगा।

लाखों भक्त पहुंचते हैं संगम तीरे

माघ मेला के दौरान हर साल लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचते हैं, लेकिन इसबार और ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। माघ मेले के दौरान संगम का नजारा देखने लायक होता है। वहीं मेला प्रशासन माघ मेले को 2025 में होने वाले महाकुंभ के रिहर्सल के रुप में देख रहा है। सनातन संस्कृति में पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या के अवसर पर गंगा नदी में स्नान को अत्यंत लाभकारी बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति पौष पूर्णिमा के दिन संगम में डुबकी लगाता है, उसके सभी पाप और कष्ट गंगा मैया दूर कर देती हैं।

स्नान और दान का होता है विशेष महत्व

माघ मेले के दौरान कल्पवास और दान का विशेष महत्व होता है, वैसे तो इस महीने की प्रत्येक तिथि का अपना अलग महत्व होता है।

पौष पूर्णिमा

पौष पूर्णिमा पर त्रिवेणी संगम में स्‍नान करने का खास महत्‍व होता है। इस दिन स्नान दान करने से व्‍यक्ति को पुण्‍य की प्राप्ति होती है और गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति का द्वार खुल जाता है। इस दिन कुछ धार्मिक उपाय करने से भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की कृपा प्राप्‍त होती है।

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अधिक महत्वपूर्ण होता है। जब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, जिसे संक्रांति कहा जाता है। इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को "मकर संक्रांति" के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है। लेकिन मकर संक्रांति का जितना धार्मिक महत्व होता है, उतना ही अधिक वैज्ञानिक महत्व भी होता है।

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व

मकर संक्रांति के पावन दिन पर लंबे दिन और रातें छोटी होने लगती हैं। सर्दियों के मौसम में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं, जिसकी शुरुआत 25 दिसंबर से होती है। लेकिन मकर संक्रांति से ये क्रम बदल जाता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति से ठंड कम होने की शुरुआत हो जाती है।

मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या के अवसर पर मौन रहकर स्नान और दान-दक्षिणा का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। वैदिक मान्यता के अनुसार संगम तट पर मौनी अमावस्या के अवसर पर स्नान और दान से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

माघी पूर्णिमा

पुराणों के अनुसार माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। और इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने से सारे रोगों से मुक्ति मिल जाती हैं।

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि शिव और शक्ति की मिलन की रात। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भक्त गंगा स्नान कर मंदिरों में जलाभिषेक करते है। इस दिन उपवास रखने से जीवन की सारे कष्ट दूर हो जाते है और सुख-समृद्धि का सौभाग्‍य प्राप्त होता है।

महत्वपूर्ण तिथियां

पौष पूर्णिमा 6 जनवरी 2023

मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी

मौनी अमावस्या 21 जनवरी

माघी पूर्णिमा 5 फरवरी

महाशिवरात्रि 16 फरवरी

 

(रजत द्विवेदी)