प्रयागराज: कुम्भ यानी आस्था का संगम जहां पर एक साथ लाखों लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं, जहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर एक बार फिर 2025 में दुनिया के सबसे बड़े मेले के रुप में जाना जाने वाले महाकुंभ का आयोजन होने जा रह है। इस महाकुंभ की तैयारियों के लिए पूरा प्रयागराज प्रशासन जोर-शोर से लगा हुआ है। संगम की रेती पर एक महीने तक आध्यात्मिकता और संस्कृति का ऐसा समागम लगेगा, जिसे देखने पूरी दुनिया से लोग प्रयागराज पहुंचेंगे।
महाकुंभ के तैयारी की रूपरेखा अभी से ही तैयार होने लगी है। यहां तक कि 6 जनवरी से संगम तट पर लगने वाले माघ मेले को इस महाकुंभ के रिहर्सल के रुप में देखा जा रहा है। प्रशासन महाकुंभ की तैयारियों के लिए कोई कोर कोसर नहीं छोड़ रहा। प्रशासन की तरफ से इस दूनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाने पर जोर दिया जा रहा है। अब बात कर लें मेले के लिए होने वाली तैयारियों के बारे में तो, वहीं इस महाकुंभ के लिए माघ मेला की तुलना में पांच गुना अधिक पांटून पुल बनाने की योजना है। वीआईपी पर्यटकों और शीर्ष संतों के लिए अरैल साइड में अनंत माधव और चक्रमाधव पांटून पुल पहली बार बनाए जाएंगे। सोमेश्वर महादेव के आगे से लेकर फाफामऊ के बीच तंबुओं का शहर बसाया जाएगा।
आप को बता दे कि महाकुंभ के मद्देनजर शहर के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों का भी चौहुंमुखी विकास किया जा रहा है। कुम्भ में आने वाले हर एक भक्त का खास ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक महाकुंभ में 500 शटल बसें चलाई जाएंगी और तकरीबन 22 हजार सफाईकर्मियों को तैनात किया जाएगा। मेला क्षेत्र में प्रवेश के लिए 20 प्रमुख प्रवेश द्वार होंगे और 54 बड़े पार्किंग स्थल भी बनाए जाएंगे।
(रजत द्विवेदी)