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Temples Of India: भीमबेटका की गुफ़ाएं, ऐसी चित्रकारियां जो सदियों बाद भी जस की तस है, जिसका रहस्य आज भी बना हुआ है...

हमारे देश में ऐसी कई जगहें हैं, जो रहस्यों से भरी हैं। वो ऐसे रहस्य हैं जिसको लेकर विज्ञान भी हैरान है। ऐसे ही एक रहस्य के बारे में हम आज बात करने जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका की गुफाएं।

भीमबेटका की गुफाएं और गुफाओं के अंदर बनी ये चित्रकारियां ये वो चित्रकारियां हैं जो आज भी रहस्य बने हुए हैं इन चित्रकारियों को किसने बनाया इसमें किन रंगों का प्रयोग किया गया जो सदीयों बाद भी जस की तस हैं ऐसे कई सवाल हैं जिसका जवाब आज भी यहां आने वाला हर शख्स ढूंढ रहा है। गुफा के अंदर पत्थरों में उकेरे गए इन चित्रकारियों को देखकर लगता है कि इनमें दैनिक जीवन से जुड़ी कई घटनाओं को उकेरा गया है। जो सदियों पहले की जिंदगी को दर्शाती है।

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक और 2003 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया जा चुका भीमबेटका की इन गुफाओं में करीब 600 से ज्यादा गुफाएं हैं। जो लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई है। भीमबेटका भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन की उत्पति की शुरुआत के निशानों का वर्णन करती है। इस स्थान पर मौजूद सबसे पुराने चित्रों को लगभग 30,000 साल पुराना माना जाता है।

किस प्रकार का था इन चित्रों में इस्तेमाल होने वाला रंग। और किन चीजों का इस्तेमाल कर बनाई गईं थीं ये तस्वीरें। जो आज इतने वर्षों बाद भी जस का तस बरकरार है। इतिहासकार मानते हैं कि भीमबेटका की गुफ़ाओं में आदिमानव द्वारा बनाये गए शैलचित्र हैं। लेकिन ये कितने पूराने हैं। और किस सदी में बनाएं गए हैं। इसपर आज भी रहस्य बरकरार है।

यहां पर पशुओं की तस्वीरों को भी उकेरा गया है। यहां पशुओं की विशाल रेखीय चित्र पाषाण काल के चित्रों के ट्रेडमार्क माने जाते हैं। जो समय के साथ छोटे, सटीक और अधिक उत्कृष्ट होते चले गए। ना इन चित्रों को कोई समझ पाया और ना ही किसने बनाया ये पता लग पाया लेकिन इतना जरुर कहा जा सकता है कि ये गुफाएं एक टूटे हुए आइने के रंगीन टुकड़ों की तरह हैं जो हमारे पूर्वजों के जीवन की समृद्धियों को दर्शाते है।

ये रंग बदरंग नहीं हुए लेकिन ये रंग अपने अंदर अपने इतिहास की कई कहानियां गढ़े हुए है जिन्हे आजतक कोई पढ़ नहीं पाया। 

रजत द्विवेदी