Sanskar
Related News

भारत के संत: महावतार बाबा जी महाराज

भारत ऋषि मुनि और योगियों की धरती है। प्राचीन काल से ही ऋषि, ब्रह्मऋषि, महृषि  मनुष्य को अध्यात्म का रास्ता दिखाते आ रहे हैं। महावतार बाबाजी महाराज जी भी भारत की उसी आध्यात्मिक परम्परा के दिव्य योगी हैं। महावतार बाबाजी महाराज जी की वास्तविक उम्र को लेकर आज तक शंशय बना हुआ है। 2000 साल से 5000 साल तक महावतार बाबाजी महाराज की उम्र मानी जाती है वो एक मृत्युहीन योगी हैं।

 ऐसा माना जाता है कि आदिशंकराचार्य जी को महावतार बाबाजी ने ही क्रिया योग की दीक्षा दी थी।  संत कबीर को भी उन्होंने क्रिया योग में दीक्षित किया था। आधुनिक काल में लाहिड़ी महाशय को रानीखेत से आगे द्वाराहाट की एक गुफा में दीक्षित किया और बाद में सन 1894  के इलाहबाद महाकुम्भ में लाहिड़ी महाशय जी के परम शिष्य युक्तेश्वर गिरि जी से उनकी मुलाकात हुई।

सन 1860 से  सन 1935 तक महावतार बाबाजी महाराज ने काफी लोगों को दर्शन दिए।  योगानंद जी को महावतार बाबाजी ने 25 जुलाई 1920 को दर्शन दिए थे, आज भी योगदा सत्संग सोसाइटी 25 जुलाई को स्मृति दिवस के रूप में मनाती है। महावतार बाबाजी का जो प्रचिलित चित्र आप देखते हैं वो योगानंद जी को उन्होंने जिस रूप में दर्शन दिए और उनको वेस्ट के देशों में क्रिया योग को प्रचिलित करने का आदेश दिया उसी स्वरुप को योगानंद जी ने अपने चित्रकार भाई को बताया और महावतार बाबाजी का वो चित्र तैयार हुआ जो आप आजकल देखते हैं।

महावतार बाबाजी महाराज जी के शिष्य और उनके चाहने वाले दुनिया भर मैं मौजूद हैं। विश्व के कोने कोने से आध्यात्मिकता के चाहने वाले भारत आते हैं। अगर आप भी महावतार बाबाजी महाराज जी की ऊर्जा को महसूस करना चाहते हैं तो आपको भी एक बार उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित बाबाजी की गुफा पर ज़रूर जाना चाहिए।

देश की राजधानी दिल्ली से तक़रीबन 350 किलोमीटर है रानीखेत।  रानीखेत से 34 किलोमीटर है द्वाराहाट और द्वाराहाट से तक़रीबन 14 किलोमीटर है कुकुछीना , यहीं पर स्थित है महावतार बाबाजी महाराज जी की दिव्य गुफा।  कुकुछीना बस स्टैंड से 2 किलोमीटर का ट्रैक करते हुए पहाड़ चढ़ना पड़ता है  गुफा तक पहुंचने के लिए।  गुफा से थोड़ा पहले योगदा सत्संग सोसाइटी ने एक ध्यान और आराम के लिए एक छोटा सा केंद्र बना रखा है जहाँ पर गुफा जाने वाले श्रद्धालु आराम और ध्यान कर सकते हैं। योगदा केंद्र से थोड़ा ऊपर है बाबाजी की वो दिव्य गुफा जहाँ उन्होंने योगिराज श्री श्यामाचरण लाहिड़ी जी को क्रिया योग में दीक्षित किया था और लाहिड़ी जी के पिछले जन्म में उनका गुरु होने का भान कराया था।               

अतुल दयाल