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गया में पिंडदान के लिए बाहरी लोगों से न आने की अपील, उज्जैन में मास्क लगाकर श्रद्धालु कर रह हैं श्राद्ध कर्म

2 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो गया है। इन दिनों में गया, उज्जैन, नासिक, ब्रह्मकपाल में पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोराना की वजह से हालात बदल गए हैं। बिहार के गया में सार्वजनिक स्थानों पर पिंडदान करना प्रतिबंधित है। यहां नियमों का पालन न करने केस दर्ज हो सकता है। नासिक में अभी पूजन कर्म बंद है, लेकिन 25 सितंबर के बाद पिंडदान और अन्य धर्म कर्म शुरू होने की उम्मीद है। उज्जैन और ब्रह्मकपाल में नियमों का पालन करते हुए मुख्य घाटों पर पिंडदान आदि कर्म शुरू हो गए हैं।

गया जिले के बाहर ही रोक दिए जाएंगे बाहरी लोग

गया में पिंडदान के लिए आने वाले बाहरी लोगों को जिले के बाहर ही रोक दिया जाएगा। तीर्थ यात्रियों के वाहनों की जांच की जाएगी। जो लोग इस बात का पालन नहीं करेंगे, प्रशासन उनके खिलाफ कोविड-19 के नियमों के तरह केस दर्ज कर सकता है। इसलिए इस समय कोरोना से बचाव के लिए प्रशासन ने यात्रियों से गया न आने की अपील की है।

उज्जैन में तीन जगहों पर कर कर सकते हैं पिंडदान

पितृ पक्ष में सिद्धवट, रामघाट, गया कोटा तीर्थ क्षेत्र में पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण शुरू हो गए हैं। हर साल इन तीन जगहों पर पितृ पक्ष में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से सबकुछ बदल गया है। पुजारी और यजमान, दोनों मास्क पहन रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है। शासन का स्पष्ट निर्देश है कि कहीं भी भीड़ एकत्र नहीं होनी चाहिए।

16 और 17 सितंबर को उज्जैन की शिप्रा नदी के घाटों पर तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान बंद रहेंगे। क्योंकि, चतुर्दशी और अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है, इससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इन तिथियों पर सिद्धवट मंदिर में दूध चढ़ाना भी प्रतिबंधित रहेगा।

 

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