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पितरों की संतुष्टि के लिए पितृ पक्ष के अलावा साल अन्य दिनों में भी श्राद्ध किया जा सकता है। इस बारे में महाभारत और नारद पुराण में बताए गए दिनों की गिनती करें तो कुछ 96 दिन ऐसे होते हैं जिनमें श्राद्ध किया जा सकता है। इस तरह हर महीने 4 या 5 मौके आते ही हैं जिनमें पितरों की संतुष्टि के लिए तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन करवाया जा सकता है। इनमें हर महीने आने वाली अमावस्या, सूर्य संक्रांति, वैधृति और व्यतिपात योग हैं। इनके साथ ही अन्य पर्व और खास तिथियों पर पितृ कर्म किए जा सकते हैं।