31 Views
मंगलवार के दिन बजरंगबली को पूजा की जाती है. साथ ही नवरात्रि चल भी रहा है. जिसमें मां दुर्गा की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के साथ-साथ अगर हनुमान जी की पूजा की जाए तो बहुत लाभ मिलता है. दरअसल हनुमान जी और भैरव बाबा देवी के साथ हमेशा ही रहते हैं. इनके बिना देवी की पूजा अधूरी मानी जाती है. नवरात्रि के समय हनुमान जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है. आइए आपको बताते हैं कि नवरात्रि में हनुमान जी की पूजा कैसे करें.
नवरात्रि में ऐसे करें हनुमान जी की पूजा
नवरात्रि में देवी मां की पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा जरूर करें. उनके आगे हाथ जोड़ कर उनकी कृपा पाने की प्रार्थना करें और इसके बाद हनुमान जी को गेंदे का फूल या लाल गुलाब का फूल अर्पित करें. साथ ही उन्हें लाल रंग का भोग चढ़ाएं. बेसन के लड्डू या लाल पेड़ा हनुमान जी को बेहद प्रिय है. प्रसाद में तुलसी का प्रयोग जरूर करें. साथ ही चमेली के तेल में सिंदूर मिलकर उन्हें लगाना चाहिए. हालांकि महिलाओं को हनुमान जी को स्पर्श करना मना है इसलिए वह बजरंगबली के चरणों के पास सारी चीजें अर्पित कर सकती हैं. इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें. नवरात्रि में सुंदरकांड का पाठ भी करना चाहिए. हनुमानजी को लाल वस्तुएं चढ़ाना शुभ माना जाता है. हनुमान जी की आराधना पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए.
बजरंगबली की अष्टसिद्धियों से हर कार्य होता है संभव
'अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस-वर दीन्ह जानकी माता'- हनुमान चालिसा में ये चौपाई आपने जरूर पढ़ी होंगी. असल में ये आठ सिद्धियां हनुमान जी को देवी सीता ने ही प्रदान की थीं. ये अष्ठसिद्धियां हनुमान जी को और ताकतवर बनाती हैं. यही कारण है कि ऐसा कोई भी कार्य नहीं जो हनुमान जी न कर सकें. वह अपने भक्तों को हर संकट से मुक्त करने वाले माने गए हैं. महाबली हनुमान न सिर्फ 'अष्ट सिद्धियां' प्रदान करते हैं बल्कि नौ निधियों के प्रदाता भी हैं. इन आठ प्रकार की सिद्धियों के बल पर इंसान न सिर्फ भय और बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है, बल्कि कई असंभव से लगने वाले कार्यों को भी बड़ी ही आसानी से पूरा कर सकता है.
ये हैं आठ प्रकार की सिद्धियां
महाबली हनुमान जी द्वारा उपासकों को प्रदान की जाने वाली आठ प्रकार की सिद्धियां इस प्रकार हैं- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व. नवरात्रि में हनुमान जी की पूजा से आपको दोगुना पुण्यलाभ मिलेगा और इन अष्ठसिद्धियों के दाता की कृपा भी मिलेगी.