कोरोना संक्रमण के कारण 68 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब सांची महोत्सव में भगवान बुद्घ के प्रमुख शिष्य सारिपुत्र और महा मौद्गल्यायन के अस्थि कलश को सिर पर रखकर स्तूप परिसर की परिक्रमा नहीं लगाई गई। इतना ही नहीं आम लोगों के दर्शनों के लिए अस्थि कलशों को नहीं रखा गया। इस कारण स्तूप परिसर में साधु-साधु की गूंज भी सुनाई नहीं दी। इन अस्थि कलशों को सुबह 7.30 बजे गर्भगृह से निकालकर चैत्यगिरि विहार में लाया गया।
यहां सुबह 10.10 बजे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और एडीजीपी अनुराधा शंकर सिंह ने की अस्थि कलश की पूजा अर्चना की। यह पूजा बौद्घ सोसायटी के यू तपस्वी थेरो ने संपन्न कराई । करीब साढ़े चार घंटे बाद ही इन अस्थि कलशों को फिर से डबल लॉक वाले गर्भगृह में सुरक्षित रख दिया गया। इस मौके पर कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, पुलिस अधीक्षक मोनिका शुक्ला, एएसपी अमृत मीणा और एसडीओपी आदिति भावसर मौजूद रही ।
प्रदेश और देश से खत्म हो कोरोना, यही भगवान बौद्ध से प्रार्थना: डॉ. चौधरी
सांची में भगवान बुद्घ के प्रमुख शिष्य सारिपुत्र और महा मौद्गल्यायन के अस्थि कलश की पूजा अर्चना कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि विश्व भर में फैल रहे कोरोना संक्रमण के कारण सांची का बौद्घ महोत्सव भी सिर्फ सांकेतिक रूप से ही मनाया जा रहा है । यहां पर लगने वाला मेला भी स्थगित कर दिया गया था । भगवान बुद्घ से यही प्रार्थना की है कि प्रदेश-देश और विश्व को इस कोरोना से मुक्ति मिल जाए, जिससे सुख चैन फिर से वापस आ जाए।
स्वामी तपस्वी ने कहा- पहली बार नहीं निकली कलश यात्रा
बौद्घ सोसायटी के स्वामी तपस्वी ने कहा कि 68 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा मौका आया है, जब स्तूप परिसर में अस्थि कलश की यात्रा नहीं निकाली गई है । ऐसा कोरोना महामारी के कारण हुआ है, जब विदेशों से भी कोई अनुयायी यहां पर नहीं आ पाए । यहां पर अस्थि कलश की पूजा-अर्चना इस बार सांकेतिक रुप से ही की गई, लेकिन इस पूजा को सोशल मीडिया नेटवर्क पर लाइव रुप से पूरे विश्व में दिखाने की व्यवस्था की गई थी ।
अस्थि कलश की पूजा-अर्चना में शामिल हुए गिने-चुने लोग
हर साल गर्भगृह से अस्थि कलशों को बाहर लाकर जैसे ही चैत्यगिरी विहार में लाकर रखा जाता था तो वहां पर मौजूद लोग उनके दर्शनों के लिए उमड़ पड़ते थे । यहां पर बौद्घ अनुयायियों की इतनी ज्यादा भीड़ होती थी कि लोगों को एक मिनिट के लिए भी मंदिर में खड़ा होने तक नहीं दिया जाता था, इस बार अस्थि कलशों की पूजा में सिर्फ गिने चुने लोग ही शामिल हो पाए । चैत्यगिरी मंदिर का परिसर खाली पड़ा रहा । कोविड गाइड लाइन का पालन कराने मेला को स्थगित कर दिया गया।