शुक्रवार, 11 दिसंबर को अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। मान्यता है कि इसी तिथि पर एकादशी नाम की देवी प्रकट हुई थीं। शुक्रवार और एकादशी के योग में भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी की पूजा भी जरूर करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। अगहन यानी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर एक देवी प्रकट हुई थीं, जिन्हें एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसी वजह से इस तिथि उत्पन्ना एकादशी कहते हैं।
ये है उत्पन्ना एकादशी की कथा
सतयुग की कथा है। उस समय मुर नाम के एक राक्षस ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। इंद्र का मदद के लिए विष्णुजी ने मुर दैत्य से युद्ध किया। युद्ध की वजह से विष्णुजी थक गए। इस कारण वे बद्रिकाश्रम की एक गुफा में विश्राम करने चले गए। भगवान के पीछे मुर दैत्य भी पहुंच गया।
विष्णुजी सो रहे थे, तब मुर ने उन पर प्रहार किया, लेकिन वहां एक देवी प्रकट हुईं और उसने मुर दैत्य का वध कर दिया। जब विष्णुजी की नींद पूरी हुई तो देवी ने पूरी घटना की जानकारी दी। तब विष्णुजी ने वर मांगने के लिए कहा। देवी ने मांगा कि इस तिथि पर जो लोग व्रत-उपवास करेंगे, उनके पाप नष्ट हो जाए, सभी का कल्याण हो। तब भगवान ने उस देवी को एकादशी नाम दिया। इस तिथि से एकादशी उत्पन्न हुई थीं, इसीलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं।
एकादशी पर कर सकते हैं ये शुभ काम
इस तिथि पर पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान जरूर करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें। गौशाला में घास और धन का दान करें। अभी ठंड के दिन चल रहे हैं, ऐसी स्थिति में कंबल और गर्म कपड़ों का दान भी करना चाहिए।