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कल से खरमास की शुरूआत हो रही है। ऐसी मान्यता है कि खरमास में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। खरमास एक महीना के लिए होता है। यह 16 दिसंबर 2020 से शुरू होकर 15 जनवरी 2021 में समाप्त होगा। खारसास तब लगता है जब सूर्य वृश्चिक राशि की यात्रा समाप्त करके धनु राशि में प्रवेश करते हैं। खरमास दान-पुण्य के लिए सर्वश्रेष्ठ समय होता है. इस समय में किए गए दान-पुण्य का अधिक फल प्राप्त होता है. इस मास में गरीबों को अन्नदान, भोजनदान, वस्त्र दान आदि करना चाहिए। खरमास को लेकर मार्कण्डेय पुराण में एक कथा का उल्लेख मिलता है।
जिसके अनुसार, एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़ते हैं। लेकिन इस दौरान उन्हें कहीं पर भी रुकने की इजाजत नहीं थी। यदि इस दौरान वह कहीं रुक जाते, तो पूरा जनजीवन भी ठहर जाता। परिक्रमा शुरू की गई, लेकिन लगातार चलते रहने के कारण उनके रथ में जुते घोड़े थक गए थे और घोड़ों को प्यास लगने लगी।
घोड़ों की उस दयनीय दशा को देखकर सूर्य देव को उनकी चिंता हो आई। इसलिए घोड़ों को आराम देने के लिए वह एक तालाब के किनारे चले गए, ताकि रथ में बंधे घोड़ों को पानी पीने को मिल सके और थोड़ा आराम भी। लेकिन तभी उन्हें यह आभास हुआ कि अगर रथ रुका, तो अनर्थ हो जाएगा, क्योंकि रथ के रुकते ही सारा जनजीवन भी ठहर जाता। उस तालाब के किनारे दो खर यानी गर्दभ भी खड़े थे। जैसे ही सूर्यदेव की नजर उन दो खरों पर पड़ी, उन्होंने अपने घोड़ों को विश्राम करने के लिए वहीं तालाब किनारे छोड़ दिया और घोड़ों की जगह पर खर यानी गर्दभों को अपने रथ में जोड़ दिया, ताकि रथ चलता रहे। लेकिन उनके कारण रथ की गति काफी धीमी हो गई।
फिर भी जैसे-तैसे किसी तरह एक मास का चक्र पूरा हुआ। उधर सूर्य देव के घोड़े भी विश्राम के बाद ऊर्जावान हो चुके थे और पुन: रथ में लग गए। इस तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है और हर सौरवर्ष में एक सौर मास ‘खर मास’ कहलाता है। विशेष: खर मास तीर्थ स्थल की यात्रा करने के लिए सबसे उत्तम मास माना गया है। इस महीने में भागवत गीता, श्रीराम पूजा, कथा वाचन, विष्णु और शिव पूजन शुभ माने जाते हैं।