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इस साल के इस महीने की 25 तारीख हिंदू शास्त्र के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस दिन मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती हैं. साथ ही 25 दिसंबर को ईसाईयों का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस भी मनाया जाता है. मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विण्णु की पूजा की जाती है. ऐसा का जाता है इस दिन भगवान विष्णु पूजा करना और व्रत रखने से पापों का नाश होता है. तो वहीं, गीता जयंती इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जून को गीता का उपदेश दिया था. क्रिसमस के त्योहार को ईसाई धर्म के लोग प्रभु यीशु के जन्मदिन के जश्न के रूप में मनाते हैं. आइए जानते हैं इन त्योहारों का महत्व...
मोक्षदा एकादशी का महत्व:
विष्णु पुराण के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत हिंदू वर्ष की अन्य 23 एकादशियों पर उपवास रखने के बराबर है. इस एकादशी का पुण्य पितरों को अर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. वे नरक की यातनाओं से मुक्त होकर स्वर्गलोक प्राप्त करते हैं. मान्यता के अनुसार जो मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है यानी उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
गीता जयंती का महत्व:
गीता जयंती मार्गशीष माह की एकादशी के दिन होती है. भगवान श्री कृष्ण ने जिस दिन अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, उसे गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है यानी श्रीमद् भगवद गीता के जन्मदिन के तौर पर. गीता का ज्ञान हमें धैर्य, दुख, लोभ व अज्ञानता से बाहर निकालने के लिए प्रेरित करता है.
क्रिसमस का महत्व:
क्रिसमस ईसाई धर्म का मुख्य त्योहार है. इस दिन लोग क्रिसमस ट्री सजाते हैं. केक काटते हैं. संता क्लाज बच्चों को आकर गिफ्ट देता है. क्रिसम यीशु के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है. क्रिसमस प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है. ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ईश्वर ने समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने के लिए प्रभु ईसा मसीह को पृथ्वी पर भेजा था.