हाथ कांपने वाली ठंड में अब मंदिरों में भी प्राण-प्रतिष्ठित प्रतिमाओं को सर्दी से बचाने के उपाय शुरू हो गए हैं। दो माह तक कड़ाके की ठंड की संभावना को देखते हुए मंदिर की प्रबंधन समितियों ने खास परिधान तैयार कराए हैं। कटरा जम्मू से मंगवाए ऊनी वस्त्र देवी मां को अर्पण किए गए तो वृंदावन की पोशाक धारण करके राधा-गोपाल ठंड से बचेंगे। कहीं भगवान की मूर्तियों को शॉल ओढ़ाए जा रहे हैं। मंदिर के गर्भगृह का तापमान नियंत्रित करने के लिए हीटर और कहीं-कहीं अलाव का भी प्रबंध है। यह सब आस्था का ही मामला है, जो भक्त अपने प्रभु के प्रति समर्पित करते हैं। इसी तरह घरों में विराजमान लड्डू गोपाल को भी ऊनी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन विधि-विधान से डेरे में स्थापित देवी-देवताओं और संतों की प्रतिमाओं को सर्दी के वस्त्र धारण करवाए गए हैं। महामंडलेश्वर स्वामी कपिल पुरी महाराज ने बताया कि 50 वर्ष से वैष्णो देवी से आदि शक्ति देवी मां के वस्त्र व आभूषण और इतने ही वर्षों से श्रीराधाकृष्ण के के वस्त्र वृंदावन से मंगाए जाते हैं। वैसे सर्दी के मौसम में हर सप्ताह ऊनी वस्त्र, कंबल और लोई आदि बदलने की परंपरा है।
सर्दी के मौसम में तीन बार बदले जाते हैं वस्त्र
श्री सनातन धर्म दुर्गा भवन मंदिर में हर महीने देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के वस्त्र बदले जाते हैं। खासकर सर्दी के मौसम में 3 बार ऐसा होता है।
पुरीधाम में संतों व देवी देवताओं की प्रतिमाओं को ठंड से बचाव को अर्पित किए वस्त्र
पुरीधाम में स्थापित संतों व देवी देवताओं की प्रतिमाओं को जाड़े के वस्त्र पहना दिए गए हैं। यह वस्त्र विशेष रूप से तैयार कराए गए हैं। महंत स्वामी कर्ण पुरी महाराज ने बताया कि एक दिन पहले ही ठंड के कपड़े बनकर आए हैं। मंदिर परिसर की साफ-सफाई के बाद वस्त्र व आभूषण ब्रह्मलीन सद्गुरु स्वामी बालकपुरी महाराज सहित सभी देवताओं की प्रतिमाओं को पहना दिए गए हैं। अब गुरुदेव की बरसी महोत्सव पर 15 फरवरी 2021 को परिधान बदले जाएंगे।