साल के अंत में पड़ती है मोक्षदा एकादशी. इस साल मोक्षदायिनी एकादशी 25 दिसंबर को पड़ रही है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मोक्षदा एकादशी पितरों को मोक्ष दिलाने वाली एकादशी मानी जाती है. हिन्दू धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि यह एकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है. इस दिन जो व्रती पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ व्रत करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मोक्षदा एकादशी का महत्व
विष्णु पुराण के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत हिंदू वर्ष की अन्य 23 एकादशियों पर उपवास रखने के बराबर है. इस एकादशी का पुण्य पितरों को अर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. वे नरक की यातनाओं से मुक्त होकर स्वर्गलोक प्राप्त करते हैं. मान्यता के अनुसार जो मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है यानी उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
मोक्षदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए पूरे घर में गंगाजल छिड़कें. पूजन सामग्री में तुलसी की मंजरी, धूप-दीप, फल-फूल, रोली, कुमकुम, चंदन, अक्षत, पंचामृत रखें. विघ्नहर्ता भगवान गणेश, भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि वेदव्यास की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें. श्रीमदभगवद् गीता की पुस्तक भी रखें. सबसे पहले भगवान गणेश को तुलसी की मंजरियां अर्पित करें. इसके बाद विष्णु जी को धूप-दीप दिखाकर रोली और अक्षत चढ़ाएं. पूजा पाठ करने के बाद व्रत-कथा सुननी चाहिए. इसके बाद आरती कर प्रसाद बांटें. व्रत एकदाशी के अलग दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए.