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Bhagavad Gita 2-49 | समस्त निंदनीय कर्मों से दूर कैसे रहें? सुनिए कृष्ण वाणी

Bhagavad Gita 2-49 | समस्त निंदनीय कर्मों से दूर कैसे रहें? सुनिए कृष्ण वाणी


दूरेण ह्यवरं कर्म बुद्धियोगाद्धनञ्जय ।
बुद्धौ शरणमन्विच्छ कृपणा: फलहेतव: ।।
हे धनंजय! भक्ति के द्वारा समस्त गर्हित कर्मों से दूर रहो और उसी भाव

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