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जिस तरह छैनी और हथोड़े की मार सहकर एक पत्थर मूर्ति का आकार ले लेता है उसी प्रकार जीवन भी असफलताओं और परिश्रम की मार सहकर ही आकार ले सकता है
जिस तरह छैनी और हथोड़े की मार सहकर एक पत्थर मूर्ति का आकार ले लेता है उसी प्रकार जीवन भी असफलताओं और परिश्रम की मार सहकर ही आकार ले सकता है