देश में कोरोना वारयरस के संकट के बीच ब्लैक फंगस ने भी अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं. कई राज्यों में इसके मामले लगातार बढ़ रह हैं जो एक चिंता विषय है. देश में अब तक 7251 मामले सामने आ चुके हैं. जबकि 219 लोग इसके कारण अपनी जान गवा चुके हैं. इसके सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र में देखने को मिले हैं. गुरुवार को केंद्र सरकार ने कहा कि राज्यों को महामारी अधिनियम, 1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करना चाहिए.
महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के अबतक 1500 केस सामने आए हैं, जिनमें 90 मरीजों की मौत हो गई है. इसके बाद गुजरात में सबसे ज्यादा 1163 केस आए और 61 मरीजों की जान चली गई. मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के 575 केस आए और 31 की मौत हो गई. हरियाणा और दिल्ली में क्रमश: 268 और 203 केस आए और क्रमश: 8 और 1 व्यक्ति की जान गई.
उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटका, तेलंगाना में 200 से कम केस आए हैं. इनमें से तेलंगाना में सबसे ज्यादा 10 लोगों की जान गई है. उत्तर प्रदेश में आठ लोग मारे गए हैं. बिहार व छत्तीसगढ़ में 2 और 1 व्यक्ति की जान गई है. हालांकि कर्नाटका में अबतक किसी की जन नहीं गई है. अब तक चंडीगढ़, असम, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया है.
क्या है ब्लैक फंगस?
दिल्ली स्थित एम्स के न्यूरोलॉजी प्रमुख डॉक्टर पद्मा के अनुसार, ब्लैक फंगस इन्फैक्शन कोई नई बीमारी नहीं है. जिनकी इम्युनिटी बहुत कम है या जो ट्रांसप्लांट के मरीज हैं, उनमें यह फंगस इन्फैक्शन पाया जाता है. उन्होंने कहा कि इतनी संख्या में फंगस इन्फैक्शन पहले कभी नहीं देखा गया था, जितना कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अभी देखा गया है.
डॉक्टर पद्मा ने कहा कि फंगस इन्फैक्शन से खतरा है और अगर इलाज नहीं मिला तो 80 फीसदी मामलों में मौत की संभावना है. ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं है. यह कोरोना की तरह नहीं एक दूसरे को फैलता है.