Sanskar
Related News

कब और क्यों लेंगे भगवान श्री हरि कल्कि अवतार?

सनातन धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। हर एक भगवान की पूजा करने की विधि भी अलग होती है। विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान अपने भक्त के ऊपर कोई भी संकट नहीं आने देते। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब-जब भक्त या धरती पर कोई बड़ी परेशानी आती है, उस समस्या के अनुरूप ही भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं और उस समस्या का समाधान करते हैं। आज हम जानेंगे लक्ष्मीपति श्री हरि विष्णु के कल्कि अवतार के बारे में... पौराणिक कथाओं के अनुसार जब-जब पृथ्वी पर पाप और पापियों का अत्याचार बढ़ा है, तब-तब पृथ्वी पर भगवान श्री हरि विष्णु ने अवतार लेकर पृथ्वी को अत्याचारियों के आतंक से मुक्ति दिलाई है। हर युग में भगवान विष्णु ने अलग-अलग अवतार लेकर मनुष्यों को ज्ञान और मर्यादा का पाठ पढ़ाया है। धार्मिक पुराणों में भगवान विष्णु के, सतयुग से लेकर कलियुग तक, 24 अवतारों का उल्लेख मिलता है। इन 24 अवतार में से 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते हैं। ये हैं मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार, बुद्ध अवतार, कृष्ण अवतार और कल्कि अवतार। पुराणों की मानें तो अब तक श्री हरी विष्णु, पृथ्वी पर 23 बार अवतरित हो चुके हैं। 24वें अवतार के बारे में उल्लेख मिलता है कि यह अवतार भगवान विष्णु कलियुग और सतयुग के संधि काल में लेंगे और इस अवतार का नाम होगा कल्कि। भगवान विष्णु का यह अवतार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होगा। इसलिए प्रति वर्ष इस तिथि पर कल्कि जयंती मनाई जाती है। श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान विष्णु के इस कल्कि अवतार के बारे में उल्लेख मिलता है, कि कलियुग के आख़िरी दौर में भगवान विष्णु यह अवतार लेंगे। मतलब जब कलियुग ख़त्म होगा और सतयुग का प्रारम्भ होगा, तब भगवान विष्णु, कल्कि के रूप में अवतरित होंगे और उनका यह अवतार 64 कलाओं से पूर्ण होगा। कहते हैं कि भगवान कल्कि सफ़ेद घोड़े पर सवार होंगे और पापियों का सर्वनाश करके पृथ्वी पर फिर से धर्म की स्थापना करेंगे। इस घटना का वर्णन श्रीमद्भागवत महापुराण के 12वें स्कंद के 24वें श्लोक में है, जिसके अनुसार गुरु, सूर्य और चंद्रमा जब एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, तब भगवान कल्कि का जन्म होगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कल्कि का अवतरण होते ही सतयुग की शुरुआत होगी। साथ ही यह भी पौराणिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण के जाने से कलियुग की शुरुआत हुई थी।