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14 या 15 जनवरी, जानें कब मनाया जाएगा खिचड़ी मेला? इस मंदिर ने बताया सही दिन....

मकर संक्रांति से शुरू होकर एक महीने तक चलने वाले खिचड़ी मेले को धूमधाम के साथ गोरखनाथ मंदिर में मनाया जाता है।  गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में मनाया जाने वाला यह खिचड़ी मेला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस मेले में हिस्सा लेने बिहार, उत्तर प्रदेश, नेपाल सहित कई जगहों से आते हैं।  इस दौरान लोगों द्वारा भगवान गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ा कर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं।

गोरखपुर में मनाई जाने वाली खिचड़ी को इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। मेले को सकुशल संपन्न कराने के लिए तमाम तरह की तैयारियां की जा रही है। इस दौरान गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ स्नातकोत्तर महाविद्यालय  गोरखपुर में बैठक हुई। बैठक में प्रधान पुरोहित ने बताया कि गोरखपुर में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन लोगों द्वारा सुबह से ही मंदिर पहुंचकर चावल, फूल, फल अर्पित करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं।

आखिर क्यों चढ़ाई जाती है भगवान को खिचड़ी?

गोरखनाथ मंदिर परिसर के प्रबंधक बताते हैं कि गोरखपुर बाबा गोरक्षनाथ की तपोस्थली है। त्रेता युग में भगवान गोरक्षनाथ द्वारा इस जगह पर तपस्या की गई थी। उस वक्त यहाँ सिर्फ और सिर्फ जंगल था और वातावरण भी बहुत शांत हुआ करता था। भगवान गोरक्षनाथ जब इस जगह पर आए तब उन्हें यह जगह बहुत पसंद आई और यहीं ठीक बगल से राप्ती नदी बहती थी इस वजह से उन्होंने यहाँ तपस्या करने की ठानी।

मंदिर प्रबंधक द्वारा आगे बताया जाता है कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में ज्वाला देवी मंदिर है जहाँ से भगवान गोरक्षनाथ गुजर रहे थें। ऐसा कहा जाता है कि ज्वाला देवी ने भगवान से कहा था कि एक दिन हमारे यहाँ विश्राम करें और आरती व भोजन स्वीकार करें। ज्वाला देवी की इस बात को मान भगवान वहीं रुकने को राजी हो गए परन्तु उन्होंने कहा की वो योगी हैं और वे इधर-उधर का भोजन ग्रहण नहीं करते हैं। आप लेकिन इतनी आग्रह करती हैं तो मेरे लिए गर्म पानी कीजिये हम भिक्षासन करेंगे। हम भिक्षा मांगकर अनाज लेकर आएंगे और तब भोजन ग्रहण करेंगे।

इसके बाद भगवान गोरक्षनाथ भ्रमण करते हुए इस  जगह पधारे और उन्हें यह जगह बहुत ही खूबसूरत लगी। यहाँ भगवान द्वारा अखंड ज्योति जलाई गई और वो खप्पर डाल रहने लगे। जब आस-पास रह रहे लोग को जानकारी हुई की कोई योगी रहने आया है, जो भिक्षा की दृष्टि से यहाँ आया है।  इस जानकारी के बाद लोग मुट्ठी भर चावल देने लगे. कहा जाता है कि भगवान ने भिक्षा के लिए जिस खप्पर का इस्तेमाल किया वो ना तो कभी पूरा भरा और ना ही कभी खाली हुआ। बाबा के इस चमत्कार को देख लोग दंग रह गए और आकर्षित होने लगे थें।

तब से यह पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाने लगा और आज की तारीख में यह परम्परा विशालकाय रूप ले चुकी है। आज की तारीख में लाखों की संख्या में लोग भगवान को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। लोगों द्वारा मीठा, गुड़, फूल, चावल आदि अर्पित किए जाते हैं और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए पूजा करते हैं।

आशुतोष कुमार