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भारत के यह 7 नगर दिलाते हैं मोक्ष

अपने जीते जी अवश्य कर लें इन सात पवित्र नगरों की यात्रा

Mokshdayni Saptpuri

जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाने के लिए मनुष्य लाख प्रयास करता है, फिर भी यह नहीं जान पाता कि उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई या नहीं। हिन्दू धर्म में मोक्ष को चार पुरुषार्थों से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य माना गया है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए कई नियम बताये गए हैं जिनके पालन से मोक्ष के द्वार खुलते हैं। इन्हीं नियमों में कुछ दिव्य स्थानों में निवास अथवा उस स्थान की यात्रा एवं दर्शन-पूजन भी शामिल है । इससे सांसारिक मुक्ति का रास्ता पाया जा सकता है । इन नगररूपी स्थानों को सप्तपुरी कहा गया है । इसलिए मोक्ष चाहिए तो हर सनातनधर्मी को देश के इन सात पवित्र नगरों की यात्रा अवश्य करनी चाहिए ।

गरुण पुराण का एक प्रसिद्ध श्लोक सप्तपुरियों को एक सूत्र में बाँध कर उनका महिमामंडन करता है ।

अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका ।

पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:॥

अयोध्या - विष्णुजी के सातवें अवतार श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या को अवधपुरी और साकेत भी कहा जाता है । पावन सरयू नदी के किनारे बसा हुआ यह नगर हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी और कई शताब्दियों तक यह नगर सूर्यवंश की राजधानी रहा। यहां पावन सरयू नदी बहती है जहां से श्रीराम ने अपनी लीलाओं के बाद मानव रूप त्याग कर वैकुंठ लोक की ओर प्रस्थान किया था।

मथुरा – श्रीहरि के आठवें अवतार श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के रूप में मथुरा नगरी प्रसिद्ध है। यहाँ यमुना के किनारे श्रीकृष्ण ने अनेक बाल लीलाएं रचीं। राधाकुंड, गोवर्धन पर्वत, बांके बिहारी मंदिर, निधि वन जैसे दिव्य स्थान यहीं पर हैं । मथुरा के चारों ओर शिव के मंदिर भी हैं, जैसे- उत्तर में गोकर्णेश्वर, दक्षिण में रंगेश्वर, पूर्व में पीपलेश्वर और पश्चिम में भूतेश्वर मंदिर। वराह पुराण के अनुसार यहां जो लोग शुद्ध विचार से निवास करते हैं, वह मनुष्य के रूप में साक्षात देवता हैं।

उज्जैन - भगवान शिव में गहरी आस्था रखने वालों के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल है उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग, यहीं स्थापित है । इसके साथ ही उज्जैन को सप्तपुरियों में भी स्थान मिला है । यह क्षेत्र प्राचीन समय में अवंतिका या उज्जयिनी के नाम से जाना जाता था।  क्षिप्रा नदी के निकट बसी इसी नगरी में भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा-दीक्षा पूर्ण की थी वहीँ महाकाल इस नगरी के राजा माने जाते हैं। हर 4 साल में यहाँ कुंभ मेला लगता है ।

काशी - काशी, भारत के सबसे पुराने और पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है जिसे वाराणसी और बनारस भी कहते हैं । पतित पावनी गंगा नदी के किनारे बसे शिवजी के प्रिय इस नगर को भारत की आध्यात्मिक राजधानी भी कहा जाता है। इस नगरी का उल्लेख सबसे प्राचीन वेद ग्रन्थ ऋग्वेद में मिलता है। काशी में 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल विश्वनाथ मंदिर है जिसमें देश के करोड़ों लोगों की आस्था है । यहां भी घर-घर में मंदिर है ।

द्वारिका - द्वारका को भगवान श्रीकृष्ण की कर्म-भूमि के रूप में भी जाता जाता है। गोमती नदी और अरब सागर के किनारे बसा यह स्थान प्राचीनतम सप्तपुरियों में से एक है। यहाँ के प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन हेतु भक्तजन वर्ष भर आते हैं । यहीं से श्रीकृष्ण ने सत्ता की बागडोर संभाली और पांडवों का भी साथ दिया था। यह नगरी देश के चार धामों में भी अपना स्थान रखती है।

हरिद्वार - उत्तराखंड की पवित्र धार्मिक नगरी हरिद्वार को हरि का द्वार कहा जाता है । यहां गंगा जी पर बनी हर की पैड़ी पर संध्या आरती पूरे वातावरण को एक भक्ति और आध्यात्मिकता से ओतप्रोत कर देती है। हरिद्वार को सप्तपुरियों में ख़ास इसलिए माना जाता है क्योंकि यहीं से उत्तराखंड के चारधाम का रास्ता आगे जाता है। यह स्थान एक ब्रह्म स्थान है जहां से भगवान् शिव और भगवान् विष्णु के धाम पहुँचकर व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित करता है। यहां भी कुंभ मेला लगता है ।

कांची – दक्षिण भारत में बसे कांची को कांचीपुरम भी कहा जाता है । तमिलनाडु की वेगवत नदी के किनारे पर बसा यह नगर भगवान शिव और विष्णु के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। कामाक्षी अम्मन, कैलाशनाथ मंदिर, बैकुंठ पेरूमल मंदिर आदि यहां के प्रमुख धार्मिक स्थान हैं। सप्तपुरियों में शामिल कांचीपुरम तीर्थ को दक्षिण की काशी माना जाता है ।

इस तरह देश के यह सात नगर अलग-अलग देवी-देवताओं से संबंधित हैं। अयोध्या श्रीराम से और मथुरा और द्वारिका का संबंध श्रीकृष्ण से है। वाराणसी और उज्जैन शिवजी के तीर्थ हैं। जबकि हरिद्वार विष्णुजी और कांचीपुरम माता पार्वती से संबंधित है। हर नगर अपने आध्यात्मिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, जिसमें प्राचीन मंदिर, पवित्र नदियां और अन्य पूजनीय स्थान शामिल होते हैं । ये स्थान हर साल लाखों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मान्यता है कि सप्तपुरियों में निवास करने अथवा यहां की तीर्थयात्रा करना मोक्षदायी है । यहां तक कि सच्चे मन से इन सप्तपुरियों का उच्चारण भी अत्यंत फलदायी है ।

:- विजय शर्मा