अप्रैल 2015 में विनाशकारी भूकंप आया था जिसने काठमांडू शहर को हिलाकर रख दिया था और कई लोगों की जान भी चली गई थी। लेकिन हैरानी की बात है कि काठमांडू में ही मौजूद पशुपतिनाथ मंदिर की एक ईंट पर भी इसका कोई प्रभाव ही नहीं पड़ा।
यहां भगवान शिव शिवलिंग के रूप में स्वंयभू मौजूद हैं। ये शिवलिंग 7 फीट उंचा और पंचमुखी है और यह स्थान 1979 से यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। पशुपतिनाथ भगवान शिव के एक रूप हैं, जो पशुओं और सभी प्राणियों के संरक्षक के रूप में पूजे जाते हैं। पशुपतिनाथ अर्थात पशुओं के स्वामी।
इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा है कि महाभारत युद्ध के बाद भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए पांडव शिव जी से आशीर्वाद पाना चाहते थे। लेकिन, भगवान शिव पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे। किंतु पांडवों ने हार नहीं मानी और भगवान शिव को ढूंढना जारी रखा। इसी क्रम में जब पांडव केदार पहुंचे तो भोलेनाथ एक बैल का रूप धारण कर बाकी पशुओं में जा मिले। तब भीम ने अपने दोनों पैर अलग-अलग पहाड़ों पर रख दिए। बाकी सारे बैल तो उनके पैर के नीचे से निकल गए पर बैल रूप में मौजूद भगवान शिव नहीं गए। पांडव समझ गए कि यही भगवान शिव हैं। इसके बाद भीम ने बैल का त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया। भगवान शिव पांडवों की भक्ति देखकर प्रसन्न हो गए। कहते हैं जब भगवान शंकर अंर्तध्यान हो रहे थे तो नासिका का ऊपरी हिस्सा काठमांडू पहुंच गया जो आज पशुपति नाथ के नाम से जाना जाता है।