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महाकाल मंदिर के शिखर पर फिर लहराया स्वर्ण ध्वज

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर करोड़ों भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं, जो समय-समय पर देखने को भी मिलती हैं। कुछ दिन पहले तेज आंधी-तूफान के चलते मंदिर के शिखर पर लगा सोने का ध्वज अचानक अपनी जगह से खिसक गया था। अब फिर से नया ध्वज दंड शिखर पर स्थापित किया गया है । नया स्वर्ण मंडित ध्वज विधि पूर्वक यथास्थान विधि-विधान से पूजन के बाद लगाया गया। सभी सुरक्षा मापदण्डों का उपयोग करते हुए तांबे और पीतल से निर्मित 12  किलो ग्राम वजनी स्वर्णमंडित ध्वज आरोहित किया गया।

 

गौरतलब है कि सनातन धर्म में मंदिरों में धर्म ध्वजा स्थापित करने का इतिहास हमारे धर्म ग्रंथों में जगह-जगह उपलब्ध है। महाराज विक्रमादित्य के शासन काल और कालिदास के रचना काल में मंदिर की धर्म ध्वजा का दूर से ही दिखाई देने का उल्लेख मिलता है। स्कन्द पुराण आदि में विभिन्न आकृतियों के ध्वज का वर्णन भी मिलता है।

 

उज्जैन में रोजाना सैकड़ों भक्त बाबा महाकाल के शिखर दर्शन करने जाते हैं। मान्यता है कि यदि श्री महाकालेश्वर भगवान का दर्शन नहीं हो पाया, तो शिखर दर्शन से ही सभी पापों का नाश होता है, इसलिए काफी संख्या में लोग रोजाना शिखर दर्शन कर बाबा महाराल का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके पीछे शास्त्रों में एक श्लोक भी मिलता है, ‘शिखर दर्शनम, पाप नाशनम्’।