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धरती की सबसे विशाल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का साक्षी हो सकता है आपमें से काफी लोग बने होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं जगन्नाथ जी 15 दिनों के लिए बीमार हो जाते है और ये कोई किस्सा या कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है जब डॉक्टर्स ने भगवान जगन्नाथ जी का तापमान चेक किया तो थर्मामीटर ने भी इस बात को प्रमाणित कर दिया कि जगत के नाथ को बुखार आता है। भगवान 15 दिनों के लिए ही बीमार क्यों पड़ते है।
दरअसल, भगवान जगन्नाथ के बीमार होने से एक महत्वपूर्ण कथा जुड़ी हुई है जो बहुत ही दिलचस्प है। पुरी में माधव दास नामक एक भक्त रहते थे, जो भगवान जगन्नाथ की पूजा करते और उन्हीं के प्रसाद से अपना जीवन व्यतीत करते थे। एक बार माधव दास को बहुत ही तेज बुखार हो गया था। लेकिन, फिर भी उन्होंने ऐसी स्थिति में भक्ति में कोई कमी नहीं आने दी। लोग उन्हें वैद्य के पास जाने की सलाह भी देते थे। लेकिन वह कहते, ’जब भगवान मेरा ख्याल रख रहे हैं, तो मुझे किसी और की जरूरत नहीं।’ फिर, एक दिन वह ज्यादा बीमार होने की वजह से अचानक बेहोश हो गए। तब स्वयं भगवान जगन्नाथ उनके पास आए और उनकी सेवा करने लगे।
माधव दास के ठीक होने पर जब उन्होंने भगवान को अपनी सेवा करते देखा तो वह भावुक हो गए और पूछा कि आप मेरी सेवा क्यों कर रहे हैं ? तब भगवान ने उत्तर देते हुए कहा कि, ’मैं अपने भक्तों का साथ कभी नहीं छोड़ता, लेकिन कर्मों का फल तो भोगना ही पड़ता है। तुम्हारी बीमारी के 15 दिन बाकी हैं, उसे मैं अपने ऊपर ले लेता हूं।’ आश्चर्य की बात यह है कि उस दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा थी। उस दिन से यह परंपरा आजतक चली आ रही है और हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान बीमार पड़ जाते हैं। उसके बाद वह 15 दिन के लिए एकांतवास में चले जाते हैं। जिसे ’अनासर’ कहते हैं। फिर, भगवान जगन्नाथ के ठीक होने के बाद नैनासर उत्सव मनाया जाता है जिसे रथयात्रा कहते हैं।