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गुवहाटी के कामाख्या देवी मंदिर में अम्बुबाची मेले की शुरूआत, देवी के रजस्वला दिनों में होती है विशेष पूजा

गुवहाटी के मां कामाख्या धाम में 22 जून से चार दिवसीय अम्बुबाची मेले की शुरूआत हो चुकी है। ये अम्बुवाची महायोग है क्या .....आइए आपको बताते हैं।

साल में एक बार आयोजित होने वाला ये त्यौहार देवी कामाख्या के मासिक धर्म चक्र के सम्मान का प्रतीक है। हर वर्ष यहां भव्य अम्बुबाची मेले का आयोजन होता है, जिसमें भाग लेने के लिए लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। अंबुबाची पर्व खास तौर पर देवी कामाख्या की रजस्वला अवस्था यानी मासिक धर्म चक्र से जुड़ा होता है और इस मेले में देवी की मासिक धर्म अवस्था को पवित्र मानते हुए श्रद्धा से पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के कारण देश-विदेश से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।

 

अम्बुबाची मेले के दौरान मंदिर का मुख्य गर्भगृह चार दिन के लिए बंद रहता है। इस दौरान मंदिर के गर्भगृह में देवी के पास सफेद कपड़ा रखा जाता है, माता के रजस्वला होने के बाद यह कपड़ा लाल हो जाता है और बाद में यही कपड़ा भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस कपड़े को पाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

 

तीन दिन मंदिर के कपाट बंद होने के बाद चौथे दिन मां शुद्ध होकर भक्तों को दर्शन देती हैं, जिसे महाभिषेक कहा जाता है। तंत्र साधना की पूर्णाहुति भी अम्बुबाची योग के दौरान ही होती है। कामाख्या देवी 51 शक्ति पीठों में से एक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां माता के योनि रूप की पूजा की जाती है और अम्बुबाची पर्व स्त्री-शरीर की रचनात्मक और शक्तिशाली प्रकृति को सम्मान देने वाला माना जाता है।