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सर्वार्थसिद्धि योग से होगी नवरात्रि की शुरुआत; इस बार देवी का वाहन रहेगा घोड़ा

शारदीय नवरात्र मां नवदुर्गा की उपासना का पर्व है। ये हर साल श्राद्ध खत्म होते ही शुरू होता है, लेकिन इस बार अधिक मास होने के कारण नवरात्र 25 दिन बाद यानी 17 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं और 25 अक्टूबर तक रहेंगे। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के बावजूद नवरात्र में देवी आराधना के लिए पूरे 9 दिन मिलेंगे।

इसके साथ ही प्रॉपर्टी, व्हीकल और अन्य चीजों की खरीदारी के लिए नवरात्र में हर दिन शुभ मुहूर्त रहेगा। देवी भागवत के मुताबिक इस बार शनिवार को घट स्थापना होने से देवी का वाहन घोड़ा रहेगा। इसके प्रभाव से पड़ोसी देश से तनाव बढ़ने की आशंका है और देश में राजनीतिक उथल-पुथल भी हो सकती है।

अष्टमी और नवमी 24 अक्टूबर को
पं. मिश्र का कहना है कि 17 अक्टूबर को प्रतिपदा यानी पहली तिथि में घट स्थापना की जाएगी। इसके बाद 18 को नवरात्र का दूसरा दिन, 19 को तीसरा, 20 को चौथा, 21 को पांचवां, 22 छठा, 23 को सातवां दिन रहेगा। 24 तारीख को सूर्योदय के वक्त अष्टमी और दोपहर में नवमी तिथि रहेगी। इसलिए धर्मसिंधु ग्रंथ के मुताबिक, अगले दिन शाम के समय यानी विजय मुहूर्त में दशमी तिथि होने से 25 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाना चाहिए।

हर दिन शुभ मुहूर्त
पं. मिश्र का कहना है कि इस बार घट स्थापना शुभ मुहूर्त में होगी। यानी सर्वार्थसिद्धि योग में नवरात्र की शुरुआत हो रही है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को बेहद शुभ माना जाता है, जो पूजा उपासना में अभीष्ट सिद्धि देगा। साथ ही दशहरे तक खरीदारी के लिए त्रिपुष्कर, सौभाग्य और रवियोग जैसे खास मुहूर्त भी रहेंगे। इन शुभ संयोग में प्रॉपर्टी, व्हीकल, फर्नीचर, भौतिक सुख-सुविधाओं के सामान और अन्य तरह की मांगलिक कामों के लिए खरीदारी करना शुभ रहेगा।

इस बार देवी का वाहन रहेगा घोड़ा
देवी भागवत ग्रंथ के मुताबिक, वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन इसी ग्रंथ में बताया है कि हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहन से धरती पर आती हैं। नवरात्र का पहला दिन शनिवार होने के कारण मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी, तब पड़ोसी देशों से युद्ध, गृह युद्ध, आंधी-तूफान और सत्ता में उथल-पुथल जैसी गतिविधियां बढ़ने की आशंका रहती है। साथ ही नवरात्र का आखिरी दिन रविवार होने से देवी भैंसे पर सवार होकर जाएंगी। इसके अशुभ फल के मुताबिक, देश में रोग और शोक बढ़ने की आशंका है।