चौंसठ कलाओं में से एक चित्रकला का एक अंग है अल्पना। इसे ही मांडना भी कहते हैं और इसी का एक रूप है रंगोली। प्राचीन भारत में पहले दिवाली पर मांडना बनाए जाने का ही प्रचलन था परंतु अब रंगोली का प्रचलन ज्यादा है फिर भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मांडना का प्रचलन है।
क्यों बनाते हैं रंगोली या मांडना : भारत में मांडना या रंगोली विशेषतौर पर होली, दीपावली, नवदुर्गा उत्सव, महाशिवरात्रि और संजा पर्व पर बनाया जाता है। मांडना या रंगोली को श्री और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह माना जाता है कि जिसके घर में इसका सुंदर अंकन होता रहता है, वहां लक्ष्मी निवास करती है। सभी देवी और देवता मांडना या रंगोली देखकर प्रसन्न होते हैं। यह घर की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। पूजा घर और मुख्य द्वार पर शुभ चिन्हों से रंगोली बनाने से दैवीय शक्तियां आकर्षित होती हैं। इससे घर में खुशियां और आनंद का वातावरण विकसित होता है। मान्यता अनुसार रंगोली की आकृतियां घर से बुरी आत्माओं एवं दोषों को दूर रखती है।