16 दिसंबर से खरमास शुरू हो रहा है। इस माह में विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कर्म नहीं किए जाते हैं। बुधवार की सुबह सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही ये माह शुरू होगा और अगले महीने 14 जनवरी तक रहेगा। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार धनु राशि का स्वामी गुरु ग्रह है। देवगुरु बृहस्पति सूर्यदेव के भी गुरु हैं। उनकी राशि में सूर्य का प्रवेश होने का धार्मिक अर्थ यह है कि सूर्य अब एक माह अपने गुरु की सेवा में रहेंगे।
सूर्य पूजा करें और दान-पुण्य जरूर करें
इस माह में ठंड प्रकोप बढ़ने लगेगा। इस वजह से इन दिनों में खाने में तिल का उपयोग जरूर करें। तिल-गुड़ की चक्की का सेवन करें। रोज सुबह जल्दी उठें और सूर्य की पूजा करें। तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कंबल, गुड़, तिल का दान करें। अपनी शक्ति के अनुसार किसी गौशाला में धन का दान करें।
एक माह तक क्यों नहीं किए जाएंगे मांगलिक कर्म
किसी भी मांगलिक कर्म के लिए सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की शुभ स्थिति यानी बल देखा जाता है। खरमास में सूर्य-गुरु कमजोर हो जाते है। साल में दो बार खरमास आता है। पहला सूर्य जब मीन राशि में रहता है और दूसरा जब सूर्य धनु राशि में रहता है। खरमास में बृहस्पति अस्त रहता है। गुरु ग्रह बलहीन रहता है। मकर संक्रांति पर सूर्य इस राशि से निकल जाता है और खरमास खत्म हो जाता है।