आज पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन लोग स्नान कर दान पूण्य का कार्य करता हैं. इस दिन भगवान सूर्य की अर्चना की जाती है. बहुत से लोग आज के दिन सूर्य मंदिर जाकर सूर्य भगवान की पूजा करते हैं. मध्य प्रदेश के खरगौन में सूर्य भगवान का एक ऐसा मंदिर जहा मकर संक्रांति के दिन सूर्य की पहली किरण, सूर्य प्रतिमा पर पड़ती है. इस दिन सूर्य भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगती है.
प्रसिद्ध नवग्रह मंदिर के पुजारी लोकेश जागीरदार का कहना है कि मकर संक्रांति, सूर्य की आगवानी का पर्व होता है. नवग्रह मंदिर सूर्य प्रधान है. यहां गर्भग्रह में सूर्य की मूर्ति बीच में विराजित है, मूर्ति के आसपास अन्य ग्रह है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा की जाती है तो नवग्रह की कृपा होती है, वर्षभर के लिए हमें ग्रहशांति का फल मिलता है.
प्राचीन ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार मंदिर की रचना की गई है. मंदिर में प्रवेश करते समय सात सीढ़ियां हैं जो सात वार का प्रतीक हैं. इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु स्वरूप के रूप में मां सरस्वती, श्रीराम और पंचमुखी महादेव के दर्शन होते हैं, फिर गर्भगृह में जाने के लिए जहां 12 सीढ़ियां उतरना होती हैं जो 12 महीने का प्रतीक हैं.
मकर संक्रांति पर सूर्य मंदिर में सूर्य की पहली किरण, मंदिर के गुंबद से होते हुए भगवान सूर्य की मूर्ति पर पड़ती है. संक्रांति पर प्राचीन नवग्रह मंदिर में सुबह 3 बजे से लोगों की भीड़ लग जाती है. देशभर के श्रद्धालु यहां इस नजारे को देखने आते हैं.
गर्भग्रह में नवग्रह के दर्शन होते हैं. इसके बाद दूसरे मार्ग पर फिर 12 सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते हैं जो 12 राशि का प्रतीक है. इस प्रकार से सात वार, 12 महीन, 12 राशियां और नवग्रह, इनके बीच में हमारा जीवन चलता है और उसी आधार पर मंदिर की रचना की गई है,