उज्जैन: उज्जैन स्थित महाकाल कॉरिडोर के निर्माण को पूरा कर लिया गया है। इस कॉरिडोर का लोकार्पण प्रधानमंत्री द्वारा 11 अक्टूबर को किया जाएगा। बता दें कि महाकाल कॉरिडोर काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर से करीब 4 गुणा बड़ा है। महाकाल कॉरिडोर में विभिन्न देवी देवताओं की बड़ी मूर्तियों की स्थापना का काम तेजी से चल रहा है। हाकाल कॉरिडोर में शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सर्विसेस भी तैयार किया जा रहा है।
महाकाल कॉरिडोर में नंदी द्वार सा प्रवेश के बाद कमल के बीच बैठे भगवान शंकर ध्यान की मुद्रा में दिखेंगे और साथ ही अलग अलग स्थान पर सिंह की चार मूर्ति भी दिखेगी। कमल कुंड के ठीक सामने सप्त ऋषि मंडल बना है जसिके बीचों बीच 54 फीट का शिव स्तम्भ बनाया गया है। बता दें यह स्तम्भ पूरे कॉरिडोर का सबसे ऊँचा स्तम्भ होगा। इस कॉरिडोर का निर्माण बेहद ही अत्याधुनिक तौर पर किया गया है। इस परिसर में जितने भी मूर्तियाँ लगाई जाएँगी उनकी कोई न कोई कहानी होगी जिसको मूर्ति के सामने लगे बार कोड की माध्यम से पढ़ा और सुना जा सकता है। इन बार कोड को मोबाइल के सहारे स्कैन करने से मूर्ति से जुड़ी कहानी ऑडिओ और टेक्स्ट रूप में सामने आ जाएगी।
महाकाल कॉरिडोर को शिवमहापुराण के आधार पर तैयार किया गया है। इस कॉरिडोर को इस 900 मीटर लंबी और 35 फीट ऊंची दीवार से कवर किया गया है। इसे खूबसूरती देने के लिए 900 मीटर लंबी म्यूरल वाल का स्वरूप देकर 54 अलग अलग शिव कथा, शिव गाथाओं को म्यूरल के माध्यम से उकेरा गया है।महाकाल कॉरिडोर में जहां एक तरफ पत्थरों का बेहतरीन इस्तेमाल है तो वहीं दूसरी ओर यहां 40000 से ज्यादा पेड़ पौधों को लगाकर आने वाले समय में एक ग्रीन कॉरिडोर के रूप में भी विकसित किए जाने की योजना है। परिसर में लगाए गए पौधे भी वहीं हैं जो भगवान शिव को प्रिये हों या उनके पूजा में इस्तेमाल किए जाते हो जैसे कैलाशपति, शमी, रुद्राक्ष, गूलर आदि है।इस पूरे कॉरिडोर में तीन प्रवेश द्वार बनाए गए हैं जिसमें नंदी द्वार सबसे मुख्य द्वार होगा। बताया जा रहा है कि इस पूरे प्रोजेक्ट के बन जाने के बाद यह क्षेत्र लगभग 46.5 हेक्टेयर का हो जाएगा।