karnataka: वैसे तो भारत देश में कई मंदिर देखने को मिलेंगे लेकीन कुछ मंदिर ऐसे भी है जो अपनी कला संस्कृति के साथ ही अपने अंदर कई रहस्यों को भी समेटे हुए है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के विषय में बताने चल रहे है जिसे धरती का वैकुंठ कहा जाता है।
तिरुचिरापल्ली शहर के श्रीरंगम नामक द्वीप पर स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री रंगनाथस्वामी मंदिर स्थित है। भगवान श्री रंगनाथ स्वामी भगवान श्री हरि विष्णु शेष शैय्या पर लेटे हुए को समर्पित यह मंदिर करीब 108 दिव्य देश्मों में से एक है और हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक होने के साथ ही देश के सबसे विशाल मंदिर परिसरों में से भी एक है। इस मंदिर को बड़े पैमाने पर पुननिर्माण और बहाली के काम के बाद सांस्कृतिक विरासत संरक्षण हेतु यूनेस्को एशिया प्रशांत पुरस्कार मेरिट 2017 प्रदान किया गया। आपको बता दे कि श्री रंगनाथस्वामी मंदिर को श्रीरंगम मंदिर, तिरुवरंगम तिरुपति, पेरियाकोइल, भूलोक वैकुण्ठ आदि कई नामों से भी जाना जाता है। इस विशाल मंदिर परिसर का क्षेत्रफल लगभग 6,31,000 वर्ग मीटर (156 एकड़) है और परिधि 4116 मीटर है। श्रीरंगम मंदिर का परिसर 7 प्रकारों और 21 गोपुरमों से मिलकर बना हुआ है। इस मंदिर का मुख्य गोपुरम यानी मुख्य द्वार 236 फीट ऊँचा है, इसे राजगोपुरम कहा जाता है। यह मंदिर वास्तुकला की तमिल शैली में निर्मित है। इसका उल्लेख संगम युग 100 ई. से 250 ई. के तमिल साहित्य के पांच श्रेष्ठ महाकाव्यों में से एक में भी मिलता है। हलांकि पुरातात्विक शिलालेख केवल 10 वीं शताब्दी ईस्वी से उपलब्ध हैं। यहा पर 1000 स्तंभों का हॉल एक नियोजित थियेटर की तरह संरचना का एक अच्छा उदाहरण है और इसके विपरीत, सेश मंडप, मूर्तिकला में इसकी जटिलता के साथ, एक अदभुत द्रश्य का नमूना है। ग्रैनाइट से बने 1000 स्तंभित हॉल का निर्माण विजयनगर काल तकरीबन 1336 से 1565 में किया गया था।
यह मंदिर वैष्णव का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। मंदिर का प्रवेश द्वार अत्यंत भव्य है। इसका गोपुरम अर्थात ऊपर के हिस्से में बहुत अच्छी कारीगरी की गई है। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए स्टील के पाईप से बने सकरे रास्ते से गुजरना पड़ता है। गर्भगृह में भगवान रंगनाथ जी को सात मुख वाले शेषनाग के द्वारा बने शैय्या पर लेटा हुआ दिखाया गया है। उनके पास लक्ष्मी जी भी विराजमान हैं। इनके साथ-साथ परिसर में भगवान गरुण, भूदेवी, ब्रह्मा, नरसिंह, श्रीदेवी, गोपालकृष्ण, हनुमानजी के मंदिर समेत और भी छोटे-छोटे मंदिर भी हैं। यहां पर गरुण देव की एक स्वर्ण परत वाली प्रतिमा भी आकर्षण का केन्द्र है।
रजत द्विवेदी