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14 जून को योगिनी एकादशी, निरोगी बनाता है व्रत !

इस बार योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून, बुधवार के दिन रखा जाएगा। कितनी फलदायी है योगिनी एकादशी, क्या है इस दिन व्रत रखने की कथा और विधान। आइए, जानते हैं। 

विष्णु जी को समर्पित है व्रत-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी होती है। इस दिन जगत के पालनकर्ता भगवान श्री विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और व्रत करना शुभफलदायी माना गया है। मान्यता है कि जो भक्त ऐसा करते हैं उन्हें पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह भी कहा जाता है कि योगिनी एकादशी व्रत करने वाले को मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है। 

योगिनी एकादशी व्रत की कथा-    

पौराणिक कथा के अनुसार स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था और वह प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना किया करता था। राजा के लिए हेम नाम का एक माली पुष्प इत्यादि लाया करता था। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन किसी कारणवश वह राजा के पास नहीं पहुंच सका । उधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो। 

सेवकों ने कहा कि महाराज वह तो घर पर ही है। यह सुनकर राजा ने हेम माली को बुलवाया और क्रोधवश श्राप दे दिया। श्राप से माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर आ गिरा और उसके शरीर में श्वेत कुष्ठ हो गया। वह भयानक जंगल में बिना अन्न और जल के भटकता रहा और एक दिन घूमते-घूमते मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया और उनके पैरों में गिर गया। मार्कण्डेय ऋषि बोले - "तुमने ऐसा कौनसा पाप किया है जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई।" 

हेम माली ने सारी व्यथा कह सुनाई जिसे  सुनकर ऋषि बोले - "तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूं। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो सारे पाप नष्ट हो जाएंगे।" माली ने ऐसा ही किया और अपने पुराने स्वरूप में आकर घर में सुखपूर्वक रहने लगा।

योगिनी एकादशी व्रत के पुण्य फल- 

योगिनी एकादशी का व्रत रखने से जातक के सभी कष्टों का अंत होता है और भयंकर रोगों भी मुक्ति मिल सकती है। अगर आप निरोग और स्वास्थ्य रहना चाहते है तो योगिनी एकादशी के व्रत को जरुर रखें । ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से हजारों ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। घर में सुख-समृद्धि और शांति आती ही है। 
इस दिन श्रीहरि का भजन और जाप करें। केवल जलीय आहार ग्रहण करें और ध्यान रहे कि अपने गुस्से पर जरा नियंत्रण रखें । जितना ज्यादा संभव हो सके विष्णु जी के साथ शिव जी की भी उपासना करें।

रजत द्विवेदी