भारत में भगवान् शिव के कई दिव्य और प्रसिद्ध मंदिर हैं, कहीं भोलेनाथ पहाड़ों की ऊँची चोटी पर बसे हैं तो कही पावन नदियों के किनारे। इन्ही मंदिरों में से एक है, भारत में तमिलनाडू राज्य के तिरुवनमलाई जिले में स्थित अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर, जिसे क्षेत्रीय भाषा में "अन्नामलैयार" मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर माना जाता है यह मंदिर तिरुवनमलाई जिले अन्नामलाई पर्वत के क्षेत्र तराई में स्थित है, जो इसे एक विशेष प्रकार की भौगोलिक संरचना प्रदान करता है, यह मंदिर इसलिए भी खास है क्युकी श्रद्धालुओं को यहां पहुँचने से पहले अन्नामलाई पर्वत की 14 किलोमीटर लंबी परिक्रमा करनी पड़ती है।
अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर क्यों कहलाता है सबसे बड़ा मंदिर।
अरुणाचलेश्वर मंदिर का परिसर लगभग 24 एकड़ जमीन पर फैला हुआ हैं इसका क्षेत्रफल 101,171 वर्ग मीटर है। जिसमे चार गेटवे टावर हैं जिन्हें गोपुरम के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में जो सबसे ऊंचा गेटवे टावर है, वो पूर्वी राजगोपुरम के नाम से जाना जाता है जिसकी ऊंचाई लगभग 217 फीट है और यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्रवेश द्वार है। यही कारण है कि यह मंदिर भारत के सबसे ऊंचे मंदिरों में भी शामिल किया जाता है एक और बड़ा कारण है जिस से यह मंदिर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर कहलाता है।
यह पर्वत ही है शिव जी का प्रतीक
ऐसी मान्यता है कि तमिलनाडु का तिरुवनमलाई जिला वह स्थान है जहां शिवजी ने ब्रह्माजी को श्राप दिया था। और अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर वहीं बना है। यह मंदिर अन्नामलाई पहाड़ की तराई में है, और वास्तव में यह अन्नामलाई पर्वत ही शिवजी का प्रतीक है, इसलिए भी यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर कहलाता है
मंदिर के गर्भ गृह में है ब्रह्मा विष्णु और महेश
मंदिर के गर्भगृह में तीन फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है जिसे लिंगोंत्भव कहा जाता है और यहां भगवान शिव अग्नि के रूप में विराजमान हैं, जिनके चरणों में भगवान विष्णु को वाराह और ब्रह्मा जी को हंस के रूप में बताया गया है
इस मंदिर की पौराणिक कथा भी है खास:
एक बार की बात है ब्रह्माजी ने हंस का रूप धारण किया और भगवान शिव के शीर्ष को देखने के लिए उड़ान भरी। उसे देखने में असमर्थ रहने पर ब्रह्माजी ने शिवजी के मुकुट से गिरे केवड़े के पुष्प को शिखर के बारे में पूछा। फूल ने कहा कि वह तो चालीस हजार साल से गिरा पड़ा है। ब्रह्माजी को लगा कि वह शीर्ष तक नहीं पहुंच पाएंगे, तब उन्होंने फूल को यह झूठी गवाही देने के लिए राजी कर लिया कि ब्रह्माजी ने शिवजी का शीर्ष देखा था। शिवजी इस धोखे पर गुस्सा हो गए और ब्रह्माजी को श्राप दिया कि धरती पर कोई भी ब्रह्मा मंदिर नहीं बनेगा। साथ ही केवड़े के फूल को भी श्राप दिया कि वह कभी भी शिव पूजा में इस्तेमाल नहीं होगा।
इसलिए भी है ये मंदिर बेहद खास
ये शिव मंदिर, भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों के समान ही पूजनीय हैं अरुणाचलेश्वर मंदिर के मुख्य मंदिर तक पहुँचने के मार्ग में कुल 8 शिवलिंग स्थापित हैं, जो कि भारत के किसी और शिव मंदिर में देखने को नहीं मिलती, इस दृष्टिकोण से भी यह मंदिर अपने आप में खास महत्त्व रखता है आपको बता दें कि यहाँ आने वाले श्रद्धालु, इंद्र, अग्निदेव, यम देव, निरुति, वरुण, वायु, कुबेर और ईशान देव की पूजा करते हुई आठ शिवलिंगों के दर्शन करना अत्यंत पवित्र मानते हैं
अक्षरा आर्या