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जगन्नाथ मंदिर के ध्वज का हैरानी भरा रहस्य, 800 साल से रोज बदला जा रहा है

हाल ही में सोशल मीडिया पर ओडिशा में पुरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक गरुड़ पक्षी पवित्र ध्वज लेकर उड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके बाद से लोग कई तरह के कयास लगा रहे हैं । जबकि कुछ इसे एक सामान्य घटना के रूप में देखते हैं । लेकिन आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर की चोटी पर लगी ये कोई सामान्य ध्वजा मात्र नहीं है । ये अपने आप में एक रहस्य है, जिसके बारे में आजतक वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा सके। ध्वज को भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

 

दरअसल, इस 20 फीट के त्रिकोणीय ध्वज की हैरान करने वाली बात ये है कि हवा किसी भी दिशा से बह रही हो लेकिन ध्वज हमेशा एक ही दिशा में लहराता है। इसे रोज बदला भी जाता है । मंदिर के शिखर तक रोजाना एक सेवक साहसिक रूप से 45 मंजिल (214 फीट) जितनी ऊंचाई पर सुरक्षा उपकरण के बिना चढ़ता है, विशेष विधि से ध्वज बदलता है और सकुशल लौट आता है । मान्यता है कि अगर किसी दिन ध्वज ना बदला गया  तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो सकता है और अगर जबरन खोला भी गया तो प्रलय आ सकती है। माना जाता है कि पुराना झंडा बुरी ऊर्जा को खींच लेता है  इसलिए उसे हटा दिया जाता है। ध्वज बदलने की जिम्मेदारी चोल परिवार के पास है और वे 800 सालों से हर दिन ध्वज बदलते आ रहे हैं।

 

यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (भगवान विष्णु के एक रूप) के भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है. यह भारत के चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है ।