माघ महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी, 31 जनवरी रविवार को है। इस दिन गणेश चौथ, तिलकुटा चौथ या संकष्टी चौथ का व्रत किया जाता है। हालांकि इस बार पंचांग भेद होने के कारण ये देश के कुछ हिस्सों में ये व्रत 1 फरवरी को भी किया जाएगा। भगवान गणेशजी की साधना-अराधना के जरिये ये व्रत खासतौर से संतान के सौभाग्य और लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संकटों को दूर करने के लिए यह व्रत रखती हैं। महिलाएं चौथ माता और भगवान गणपति का पूजन करेंगी और कथा सुनेंगी। घर की बुजुर्गों से आशीर्वाद लेंगी। इस चौथ को संकष्टी चौथ भी कहा गया है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
संकष्टी चौथ का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात ही पूरा होता है, रविवार को रात 08:40 पर चंद्रमा उदय के बाद चंद्र को अर्घ्य देकर और तिलकुटे का भोग लगाने के बाद महिलाएं दिनभर का निर्जला व्रत खोलेंगी।
2 शुभ योग होने से और भी बढ़ गया है महत्व
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र ने बताया कि इस बार माघ महीने की संकष्टी चतुर्थी रविवार को है। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में चंद्रमा होने से छत्र और शोभन योग बन रहा है। लिहाजा इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। दरअसल, चंद्रमा रविवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा जो कि शुक्र का नक्षत्र है। इस कारण संकष्टी चौथ पर शुक्र के नक्षत्र का होना और भी शुभ माना जाता है। इस दिन महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि के साथ-साथ अपने बच्चों की खुशहाली की कामना करतीं हैं।